चंबल सेंक्चुरी में हांफ रहे हिरन, परिदे घोंसलों में सिमटे

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चंबल सेंक्चुरी में हांफ रहे हिरन, परिदे घोंसलों में सिमटे

आसमान से बरस रही आग के चलते तपती है चंबल की बालू

आगरा। आसमान से बरस रही आग से जंगली जीव परेशान हैं। विभिन्न प्रजातियों के हिरन हांफने लगे हैं। पेड़ों की छाया ही उन्हें अनुकूल माहौल दे रही है। प्रवासी परिदे भी घोंसलों में सिमट रहे हैं।

राजस्थान से सटे चंबल के रेहा, बरैंडा और मंसुखपुरा के जंगल में काले व चितकबरे हिरन बहुतायत में हैं। इनका भोजन घास है। जो बीहड़ के अलावा सटे गांव के खेतों में पाई जाती है। चंबल के पानी से ये प्यास बुझाते हैं। जून में जिस तरह से सूरज आग उगल रहा है इससे ये बेजुबां बुरी तरह परेशान हैं। तेज धूप के कारण चंबल की बालू भी तप रही है। गर्मी से बचने के लिए वे बीहड़ छोड़ गांव की ओर रुख कर रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बड़ी संख्या में हिरन, सियार व लोमड़ी गांव तक पहुंच रहे हैं। एक हजार हैं काले और चितकबरे हिरन

चंबल सेंक्चुरी में काले व चितकबरे हिरनों की संख्या करीब एक हजार हैं। जीव जंतु विशेषज्ञ सतेंद्र शर्मा बताते है कि राजस्थान बार्डर से सटे चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र में विशेष प्रकार की घास पाई जाती है। यही हिरन का प्रिय भोजन है। बीहड़ के अलावा क्षेत्र के कई गांवों में भी यह घास उन्हें मिल जाती है। इस वजह से वे गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। बंदरों के उत्पात से घरों में कैद हुए लोग आगरा। बाह कस्बे के मुहल्ला सुनरट्टी में बंदर के उत्पात से लोग भयभीत होकर घरों में कैद होने को मजबूर हैं। सुरेश पचौरी ने बताया कि आसपास बंदरों का झुंड रहता है। उनमें से एक बंदर इस तरह से हिसक हो गया है कि चलते राहगीर व मुहल्ले वालों को पर अचानक हमला बोल देता है। पिछले कुछ दिनों में वे कई लोगों को हमला कर घायल कर चुके हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से बंदरों को पकड़ने की मांग की है।

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