अब खेतों में खाद डालने के लिए भारी-भरकम बोरी नहीं उठानी पड़ेगी, एक छोटी सी बोतल से हो जाएगा काम, जानें कैसे

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240 रुपये किए गए निर्धारित, 15 जून के बाद किसानों को मिल सकेगी।

45 किलो खाद की बोरी की जगह अब सिर्फ 500 मिली की छोटी बोतल उतना काम करेगी। खेतों में छिड़कने के लिए बोरियों में भरी यूरिया के दिन लदने वाले हैं। इनकी जगह छोटी बोतलों वाली नैनो यूरिया लेने जा रही। इसकी कीमत 240 रुपये निर्धारित की गई है।

बरेली, 45 किलो खाद की बोरी की जगह अब सिर्फ 500 मिली की छोटी बोतल उतना काम करेगी। खेतों में छिड़कने के लिए बोरियों में भरी यूरिया के दिन लदने वाले हैं। इनकी जगह छोटी बोतलों वाली नैनो यूरिया लेने जा रही। भारी-भरकम एक बोरी का काम सिर्फ पांच सौ मिलीलीटर की छोटी बोतल में भरी नैनो यूरिया करेगी। इसकी कीमत 240 रुपये निर्धारित की गई है। इससे यूरिया की अतिरिक्त खपत भी रोकी जा सकेगी। कृषि अधिकारियों का कहना है कि 15 जून के बाद नैनो यूरिया यहां भी किसानों को उपलब्ध हो सकेगी

तरल रूप में यूरिया के इस्तेमाल को लेकर पिछले करीब एक दशक से परीक्षण चल रहा था। तमाम फसलों एवं भू-भाग में परीक्षण के पश्चात अब इसमें कामयाबी मिली है। सामान्य यूरिया के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम इस्तेमाल करना होगा। पांच सौ मिलीलीटर की एक छोटी बोतल में इसे तरल रूप में रखा जा सकेगा। जानकारों का कहना है कि अभी तक 45 किलो के यूरिया बैग का इस्तेमाल होता है। इसमें करीब 40 हजार पीपीएम नाइट्रोजन की मात्रा होती है। लेकिन इतना पीपीएम नाइट्रोजन कंप्रेस करके पांच सौ एमएल की बोतल में रखी जा सकती है। इसकी मदद से न सिर्फ यूरिया की खपत कम होगी बल्कि भूमिगत जल को हो रहे नुकसान को भी रोका जा सकेगा।

तरल यूरिया से कम होगा नुकसान : हाल के वर्षों में यूरिया की खपत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी देखी गई है। उपज बढ़ाने के लिए किसान अंधाधुंध यूरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न सिर्फ मिट्टी को नुकसान पहुंच रहा बल्कि भूमिगत जल का भी बुरी तरह प्रदूषित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तरल यूरिया से यह दोनोौं नुकसान रोके जा सकेंगे। यूरिया की एक निश्चित मात्रा ही फसलों तक पहुंचेगी।जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि नैनो यूरिया के 15 से 30 जून के बीच यहां पहुंचने की जानकारी मिली है। जिसका किसान इस्तेमाल कर सकेंगे। इसका इस्तेमाल खरीफ व रबी की दोनों सीजन में किया जा सकेगा। 

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