यूपी में पराली जलाने से रोकने के लिए एक्शन प्लान तैयार, लेखपाल से लेकर थाना प्रभारी और डीएम तक होंगे जिम्मेदार

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खरीफ फसलों की कटाई के बाद पराली जलाए जाने की आशंका जताते हुए द‍िया आदेश।

यूपी में पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए एक्शन प्लान में व्यवस्था की गई है। इसके तहत कटाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कंबाइन हार्वेस्टर में अवशेष प्रबंधन यंत्रों का प्रयोग भी किया जाए। इसकी निगरानी के लिए एक कर्मचारी नामित किया जाएगा

लखनऊ, प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सरकार पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ट्रिब्यूनल इसे लेकर बेहद गंभीर हैं। ऐसे में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए गठित आयोग ने जो एक्शन प्लान एनसीआर और आसपास के लिए क्षेत्र के लिए बनाया है, उसे प्रदेश भर में लागू करने संबंधी आदेश मुख्य सचिव आरके तिवारी ने जारी किया है। इसके तहत कृषि यंत्र वितरण और जागरुकता के लिए प्रचार-प्रसार के साथ ही प्रवर्तन की ऐसी सख्त व्यवस्था की जानी है, जिसमें लेखपाल और थाना प्रभारी से लेकर जिलाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

खरीफ फसलों की कटाई के बाद पराली जलाए जाने की आशंका जताते हुए आदेश में कहा गया है कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 14 प्रकार के कृषि यंत्र चिन्हित हैं। किसानों, एफपीओ, पंजीकृत कृषक समितियों को यह यंत्र उपलब्ध कराने के लिए मशीनरी बैंक बनाए जाएंगे। मशीनरी बैंक बनाने के लिए व्यक्तिगत किसानों को पचास फीसद, जबकि एफपीओ और समितियों को 80 फीसद अनुदान मिलेगा। यंत्रों की खरीद आगामी 30 सितंबर तक होनी है। इसके लिए सहकारी समिति, गन्ना समिति, पंचायतों व उद्यानिकी समितियों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। एक्शन प्लान में पराली न जलाने के प्रति जागरुकता कार्यक्रम, डिकम्पोजर के वितरण, पराली संग्रहित कर गोशालाओं में पहुंचाने, पराली दो-खाद लो अभियान चलाने आदि के संबंध में विस्तार से जिक्र किया गया है। इसके साथ ही सबसे अधिक जोर प्रवर्तन पर है। इसके लिए प्रत्येक राजस्व गांव या राजस्व गांव क्लस्टर स्तर पर एक राजकीय कर्मचारी को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। राजस्व ग्राम के लेखपाल और संबंधित थाना प्रभारी को जिम्मेदारी दी जाएगी कि पराली उनके क्षेत्र में न जले। 

इसी तरह जिला स्तर पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में एक सेल का गठन होना है, जो रबी की बुआई तक निगरानी करेगा। जिलाधकारी द्वारा गठित प्रवर्तन दल की जिम्मेदारी होगी कि फसल अवशेष जलने की घटना की सूचना पर जाकर विधिक कार्रवाई करे। एक्शन प्लान में व्यवस्था की गई है कि कटाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कंबाइन हार्वेस्टर में अवशेष प्रबंधन यंत्रों का प्रयोग भी किया जाए। इसकी निगरानी के लिए हर कंबाइन हार्वेस्टर के साथ कृषि या ग्राम्य विकास विभाग का एक कर्मचारी नामित किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा है कि यह जिलाधिकारियों का व्यक्तिगत दायित्व होगा कि उनके जिले में फसल अवशेष या कूड़ा जलाने की घटना न हो। 

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