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बरेली के हस्तशिल्प उत्पादों को दुनिया में पहचान दिलाने के लिए एक्सपो मार्ट परियोजना परवान नहीं चढ़ पाई है। उद्योग विभाग की जमीन पर परियोजना का बोर्ड लगाकर केंद्र और राज्य की सरकार भूल गई। एक्सपो मार्ट परियोजना की जमीन का अभी तक भू-उपयोग परिवर्तन नहीं हो सका है। परियोजना में न तो बरेली के नेता रुचि दिखा रहे और अफसर। प्रस्तावित जमीन पर झांडियां उग आईं हैं।
केंद्र में बीजेपी सरकार आते ही केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने सिविल लाइंस में उद्योग विभाग की जमीन पर एक्सपो मार्ट परियोजना को मंजूरी दिलाई थी। राज्य सरकार ने परियोजना के लिए 75 सौ वर्ग मीटर जमीन मुफ्त दी थी। उद्योग विभाग ने बीडीए के पास परियोजना की जमीन का उपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव भेजा था। बीडीए ने 2015 में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को पास करके अंतिम मंजूरी के लिए लखनऊ भेज दिया। शासन में जाकर प्रोजेक्ट फं स गया। तत्कालीन सपा सरकार पर परियोजना के अनदेखी के आरोप लगे। लैंडयूज परिवर्तन में अड़ंगा लगाने की बात कही गई। पिछले साल प्रदेश में बीजेपी की सरकार आ गई। बावजूद प्रोजेक्ट एक कदम आगे नहीं बढ़ा। जमीन पर अभी तक सिर्फ परियोजना के नाम का बोर्ड लगा है। परियोजना के निर्माण की शुरूआत नहीं हो सकी है। एक पैसे का बजट केंद्र सरकार ने जारी नहीं किया है।
विदेशी खरीद आते बरेली
एक्सपो मार्ट बनने के बाद जरी समेत तमाम हस्तशिल्प उत्पादों की खरीदारी करने के लिए विदेशी भी आते। बरेली के हस्तशिल्प उत्पादों के प्रदर्शन के लिए एक्सपो मार्ट में दो खास हॉल तैयार किए जाने थे। हस्तशिल्पियों को दुकानें आवंटित की जातीं। मगर सरकारी मशीनरी हस्तशिल्प कारोबार पर भारी पड़ गई।
केंद्र खर्च करती 10.50 करोड़
केंद्र सरकार को एक्सपो मार्ट परियोजना की बिल्डिंग पर 10.50 करोड़ की रकम खर्च करनी थी। इस रकम से दो बड़े सेमीनार हॉल, दो प्रदर्शनी हॉल, गेस्ट हाउस और ओपन थियेटर बनाया जाना था। राजकीय निर्माण निगम को एक्सपो मार्ट की बिल्डिंग तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। मगर केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए बजट ही जारी नहीं किया।
बरेली के जरी और फर्नीचर उद्योग को मिलती पहचान
एक्सपो मार्ट बरेली के जरी और फर्नीचर उद्योग को नई पहचाने में दिलाने में मददगार साबित होता। सरकारी तंत्र हस्तशिल्पियों को आधुनिक डिजाइन और तकनीकी की जानकारी देने के लिए वर्कशाप आयोजित करते। वर्कशाप में सेमीनार आयोजित होती। बाहर के खरीदारों के रुकने के लिए गेस्ट हाउस भी एक्सपो मार्ट में बनाया जाना था।
परियोजना पांच साल पुरानी है। केंद्र सरकार को परियोजना के लिए बजट देना था। उद्योग विभाग ने परियोजना के लिए जमीन मुहैया करा दी थी। लैंडयूज परिवर्तन का प्रस्ताव लखनऊ भेजा गया था। लैंडयूज परिवर्तन नहीं हो सका। जिसकी वजह से परियोजना पर काम शुरू नहीं हो सका। - अनुज कुमार, उद्योग केंद्र उपायुक्त