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RGA news
जालंधर में 550 संस्कार अकेले मई महीने में हुए जबकि प्रशासन के रिकार्ड में सिर्फ 288 मौतें रजिस्टर्ड हैं।
जालंधर के श्मशानघाटों में 41 दिन (एक मई से 10 जून) में 635 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत किया गया जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन 41 दिनों में सिर्फ 340 लोगों की ही कोरोना के कारण मौत हुई।
जालंधर, बिहार में कोरोना से होने वाली मौत के मामले में आए बदलाव के बाद पंजाब में भी सरकार की नीतियों को दरकिनार कर डेथ फार्म सही ढंग से नहीं भरने के मामले सामने आ सकते हैं। इससे मौत के आंकड़े भी बदल जाने की संभावना है। जालंधर के श्मशानघाटों में 41 दिन (एक मई से 10 जून) में 635 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत किया गया जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन 41 दिनों में सिर्फ 340 लोगों की ही कोरोना के कारण मौत हुई। इनमें से 550 संस्कार अकेले मई महीने में हुए जबकि प्रशासन के रिकार्ड में सिर्फ 288 मौतें रजिस्टर्ड हैंं
जून में भी अब तक 85 लोगों के संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किए गए जबकि मौत के मामले सिर्फ 52 ही आए। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 295 मौतें कोरोना के कारण नहीं हुई तो उनका संस्कार कोविड प्रोटोकाल के हिसाब से क्यों किया गया। हालांकि जिला प्रशासन इसके पीछे सरकार व डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस का हवाला देता है लेकिन मरने वालों के पारिवारिक सदस्य इस बात को लेकर आज भी असमंजस में है कि क्या उनके किसी अपने को कोरोना था और क्या उसकी मौत कोरोना से हुई है। अगर नहीं तो उन्हें उनके संस्कार में क्यों शामिल नहीं होने दिया गया।
प्रशासन आंकड़ों में अंतर की वजह ये बता रहा
सेहत विभाग के नोडल अफसर डा. टीपी सिंह ने बताया कि कोरोना के संदिग्ध मरीजों, मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 15 दिन के भीतर उसकी मौत होने, अस्पताल में दाखिल होने पर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद मौत होने, दूसरे जिले में इलाज के दौरान मौत होने जैसे केस में कोविड प्रोटोकाल का पालन तो किया जाता है लेकिन डेथ रिपोर्ट में कोरोना नहीं जोड़ा जाता।