मौत का मॉकड्रिल...आगरा में उस काली रात के सच पर पर्दा डालने की कोशिश, IMA का व्हाट्सएप ग्रुप डिलीट

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आगरा के पारस हॉस्पिटल के बंद होने के बाद बाहर स्‍ट्रेचर पर लेटा मरीज। 

श्री पारस हास्पिटल आगरा में हुआ था 26 अप्रैल को मौत का मॉकड्रिल। उन दिनों आगरा में थी ऑक्‍सीजन की जबरदस्‍त किल्‍लत। आइएमए आगरा चैप्‍टर के वाट्सएप ग्रुप पर तमाम डॉक्‍टरों ने की थी ऑक्‍सीजन दिलाने की गुहार। मामला तूल पकड़ा तो ग्रुप ही डिलीट कर दिया गया

आगरा, श्री पारस हास्पिटल प्रकरण के बाद आक्सीजन की आपूर्ति के लिए आइएमए, आगरा द्वारा बनाया गया ग्रुप डिलीट कर दिया गया है। इससे पहले ग्रुप की 23 से 27 अप्रैल की चैट डिलीट की गई। आक्सीजन के लिए हाहाकार मचने पर आइएमए के ग्रुप में निजी कोविड हास्पिटल संचालकों ने मरीजों की जान का खतरा बताते ही सिलेंडर देने की मांग की थी। वीडियो भी डाले थे। अप्रैल में आक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गई थी। आक्सीजन की कमी होने पर कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो गया था। निजी कोविड हास्पिटल संचालकों ने नोटिस बोर्ड लगा दिए, आक्सीजन खत्म होने वाली अपने मरीज को ले जाएं। इसके बाद सेंट पीटर्स कालेज में आक्सीजन सिलेंडर को स्टोर किया गया, जिला प्रशासन ने आइएमए, आगरा के डा संजय चतुर्वेदी को संयोजक बनाया। जिससे सीमित संख्‍या में उपलब्‍ध सिलेंडरों को जिन अस्पतालों में ज्यादा मांग है उन्हें दिया जा सके।

कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) आगरा चैप्‍टर द्वारा वाटस एप ग्रुप बनाया गया था। इस ग्रुप पर निजी कोविड हास्पिटल को कितने आक्सीजन सिलेंडर चाहिए, यह बताना था। 25 से 27 अप्रैल के बीच हास्पिटल संचालकों ने आक्सीजन सिलेंडर की मांग के लिए ग्रुप पर मैसेज भेजे, मार्मिक वीडियो अपलोड किए। भयावह हालात को बयां किया, वेंटीलेटर और आइसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या बताई। पांच से छह घंटे में आक्सीजन खत्म होने से आठ से 10 मरीजों की मौत हो सकती है, यह बताया। इस ग्रुप की चैट को श्री पारस हास्पिटल का 26 अप्रैल को पांच मिनट के लिए आक्सीजन बंद करने का वीडियो वायरल होने पर डिलीट कर दिया गया। इसके बाद ग्रुप भी डिलीट कर दिया। आइएमए के पूर्व सचिव और ग्रुप एडमिन डा. संजय चतुर्वेदी का कहना है कि तीन-चार दिन पहले ग्रुप डिलीट कर दिया गया है।

अपने परिचितों को ही आक्सीजन देने की चैट हुई थी वायरल

उस दौरान एक चैट वायरल हुई थी, उसमें अपने परिचित डाक्टर को सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए शाम को संपर्क करने के लिए कहा गया था। 400 रुपये का सिलेंडर 2000 तक में मिला निजी हास्पिटल संचालकों को भी आक्सीजन सिलेंडर अधिक रेट में मिला था। 400 रुपये के सिलेंडर को 1500 से 2000 रुपये में हास्पिटल संचालकों को दिया गया। तीमारदार चार हजार रुपये तक में आक्सीजन सिलेंडर लेकर आए थे।

तीन दिन में एक कदम भी नहीं बढ़ी पुलिस की विवेचना

मौत का माकड्रिल करने का वीडियो वायरल होने के बाद सील हुए श्री पारस हास्पिटल पर शहर में माहौल गरमा रहा है। मगर, जांच एजेंसियों की रफ्तार हद से ज्यादा धीमी है। मुकदमा दर्ज होने के तीन दिन बाद भी पुलिस की विवेचना एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी है। पुलिस न तो पीड़ितों से संपर्क करने की कोशिश की और न ही कोई चश्मदीद ढूंढा। अभी तक पुलिस हास्पिटल संचालक के मूल वीडियो को हासिल करने पर अटकी हुई है। न्यू आगरा थाने में आठ जून को उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरके अग्निहोत्री ने श्री पारस हास्पिटल के संचालक डा. अरिंजय जैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें महामारी अधिनियम की धारा तीन और आपदा प्रबंधन अधिनियम के साथ ही आइपीसी की धारा 188 भी थी। इस मुकदमे के विवेचक इंस्पेक्टर न्यू आगरा भूपेंद्र बालियान हैं। मुकदमा डा. अरिंजय जैन के वायरल वीडियो के आधार पर दर्ज कराया गया है। इसमें डाक्टर 26 अप्रैल की रात को आक्सीजन की कमी के चलते माकड्रिल करने की बात कह रहे हैं। इसमें यह भी सुनाई दे रहा है कि 22 मरीज अलग छंट गए। इस वीडियो के सामने आने के बाद खलबली मच गई। प्रशासन ने शुरुआत में तत्परता दिखाई। हास्पिटल का लाइसेंस निलंबित कर दिया और हास्पिटल सील कर दिया। मगर, मुकदमे की विवेचना अभी आगे नहीं बढ़ी है। पुलिस आरोपित डाक्टर के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के बाद कारवाई के बजाय वीडियो बनाने वाले को खोजने में लगी है। हालांकि इसके पीछे पुलिस को तर्क है कि वीडियो मिलने के बाद ही जांच की शुरुआत हो सकेगी। क्योंकि मुकदमा इसी वीडियो के आधार पर लिखा गया है। जांच भी मूल वीडियो सामने आने के बाद ही होगी। अभी तक पुलिस के पास वायरल हुआ वीडियो है। एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद ने बताया कि शनिवार को अब तक की विवेचना का रिव्यू किया जाएगा। इसके बाद विवेचना की रफ्तार बढ़ाने को निर्देशित किया जाएगा।

डेथ सर्टिफिकेट जारी किए, लिस्ट में नाम नहीं

समय के साथ-साथ हास्पिटल में हुए खेल की परतें भी खुलती जा रही हैं। अब कई ऐसे पीड़ित सामने आ चुके हैं जिनके अपनों की मौत श्री पारस हास्पिटल में 26 और 27 अप्रैल को हुई थी। हास्पिटल प्रबंधन ने उन्हें डेथ सर्टिफिकेट भी दिए हैं। मगर, प्रशासन को भेजी गई सूची में उनके नाम नहीं हैं। ऐसे पांच लोग सामने आ चुके हैं। ये मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।

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