मुकाबले के लिए भाजपा को योद्धा की तलाश

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मोर्चा संभाले हुए हैं।

2021जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कब होग। इसकी तारीख तो अभी तय नहीं हुई है इस कुर्सी पर कौन बिराजेगा इसकी तस्वीर साफ होने लगी है। इसके चलते सदस्यों की खींचतान का खेल भी लगभग खत्म सा हो गया है।

अलीगढ़, जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कब होग। इसकी तारीख तो अभी तय नहीं हुई है , इस कुर्सी पर कौन बिराजेगा इसकी तस्वीर साफ होने लगी है। इसके चलते सदस्यों की खींचतान का खेल भी लगभग खत्म सा हो गया है। सदस्यों को जहां होना चाहिए था उन्होंने भी अपना ठिकाना खोज लिया है। यह चुनाव अधिक रोचक होता तब दिखा था जब चौधरी ने छोटे चौधरी की पार्टी का दामन थामा था। लग रहा था मुकाबला कांटे का होगा। सदस्यों का मोल भी बढ़ जाएगा, लेकिन कुछ दिन बाद ही पासा पलट गया। पंचायत चुनाव के चाणक्य कहे जाने वाले ‘वीरू’ ने ऐसी चाल चली कि पूरा विपक्ष हक्का-वक्का रह गया। विपक्ष के सामने अब ऐसे योद्धा की तलाश की चुनौती है जो ’वीरू’ के खेल को चुनौती दे सके। रालोद ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। देखना यह है कि चुनाव आने तक क्या-क्या होता है?

ये संभलने का वक्त है

प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। बहुत जल्द मंत्री परिषद में उलटफेर भी होने वाला है। संदेश एक ही कैसे भी सत्ता को बचाया जाए। यह तभी संभव है जब जनता का दिल जीत पाएंगे । इसके लिए अकेले योगी जी ही भागदौड़ नहीं कर सकते। विधायकों को भी चाल बढ़ानी होगी। मंथन करना होगा कि बीते चार साल में जनता से किए वायदों पर कितना खरे उतरे । आमजन का दिल जीतने में कितने कारगार हुए। खुद का आंकलन ही अगर सही से कर लेंगे तो हकीकत पता चल जाएगी। ये जरूरी भी है। अगर खुद के काम की समीक्षा नहीं करेंगे तो वोट मांगने के समय वोटर तो सवाल करेगा ही। इस लिए जनता के सवालों का जवाब देने के लिए अभी संभलने का मौका है

कोरोना कम हुआ है, खतरा नहीं

कोरोना की दूसरी लहर की विभीषिका सबने झेली है। जिन्होंने अपनों को खोया है वो कभी इसे नहीं भुला पाएंगे। कोरोना से लड़ने की अभी यह जंग खत्म नहीं हुई, तीसरी लहर की बात और कही जा रही है। बच्चों के लिए घातक बताई जा रही इस लहर से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र तैयारी में जुटा हुआ है। पिछली बार की तरह इस बार भी कोरोना के केस कम होने पर लोग वेपरवाह होने लगे हैं। इसका नजारा बाजारों में खूब देखा जा सकता है। भीड़ इतनी उमड़ रही है कि पैर रखने को जगह नहीं होती। इनमें बहुत से लोग बिना मास्क के भी होते हैं। कोरोना से जंग के लिए यह ठीक नहीं है। ये सही है कि वायरस का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन खत्म नहीं हुआ। इस अदृश्य वायरस से जंग जारी रखनी होगी। तभी पूर्ण विजय हासिल की जा सकती है। लापरवाही घातक साबित हो सकती है।

जनता नतीजा क्यों भुगते ?

बारिश आती है तो नगर निगम को नाला सफाई की चिंता होती है। गर्मी में पानी के ट्यूबवेल व ओवर हेड टेंक पर नजर जाती है। ये तैयारी पहले भी तो की जा सकती है। इस ढुलमुल रवैया का नतीजा ये है कि भीषण गर्मी में शहर के कई इलाकों के लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा। ये हालत तब है जब अमृत योजना के तहत एक साल से काम चल रहा है। 40 नए नलकूप इसी लिए लगवाए गए कि ताकि सभी घरों में स्वच्छ पानी पहुंचाया जा सके। योजना के तहत घरों में कनेक्शन तो दिए। पानी का मीटर भी लगवा दिया, लेकिन पानी ही नहीं पहुंचा। हैरानी की बात ये है कि 19 नलकूप बिजली कनेक्शन के अभाव में बंद पड़े हैं। इसके पीछे तालमेल का अभाव ही कहेंगे, अन्यथ बिजली विभाग को कनेक्शन देने में क्या दिक्कत? अगर दिक्कत? है तो स्पष्ट करे। जनता क्यों भुगते?

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