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मनमानी से बाज नहीं आ रहे निजी बस संचालक।
कानपुर के सचेंडी में बस-टेंपो की भिड़ंत में 18 लोगों की मौतों के बाद पुलिस प्रशासन को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। आरटीओ ने अभियान की खानापूर्ति की लेकिन जीएसटी अधिकारियों को सूचना नहीं दी। माल ढुलाई कर रहीं 16 बसों पर कार्रवाई की है।
कानपुर, सचेंडी में निजी बस व टेंपो की भिड़ंत में 18 लोगों की मौत के बाद भी आरटीओ का महकमा बाज नहीं आ रहा। चौतरफा दबाव के बाद आरटीओ ने शुक्रवार को माल ढुलाई कर रही निजी बसों के खिलाफ अभियान शुरू किया। 16 बसों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनमें से आठ को सीज भी कर दिया, मगर इस दौरान आरटीओ ने जीएसटी को कोई सूचना नहीं दी। अगर जीएसटी को सूचना दी गई होती तो माल ढुलाई के बड़े खेल का पर्दाफाश भी हो सकता था।
निजी बसें मनमानी से बाज नहीं आ रहीं। इतने बड़े हादसे के बाद भी उनका पुराना ढर्रा ही चल रहा है। रोक के बावजूद निजी बसें दूसरे प्रदेशों को जा रही हैं और नियमों के विपरीत इन बसों में भारी मात्रा में छतों के ऊपर सामान लादकर ले जाया जा रहा है। 18 लोगों की जान जाने के तीन दिन बाद शनिवार को आरटीओ प्रशासन होश में आया और वाहनों की जांच के लिए अभियान शुरु किया। मगर, यह अभियान भी सिर्फ खानापूरी बन कर रह गया।
अभियान के दौरान सामने आया कि फजलगंज से अभी भी माल लादकर बसों का दूसरे प्रदेशों में आवागमन जारी है। बसों की छतों पर अभी भी अवैध तरीके से माल लादकर भेजा जा रहा है। आरटीओ व यातायात विभाग की संयुक्त कार्रवाई में परमिट शर्तों के उल्लंघन व अधिक सवारियां बैठाने पर कार्रवाई की गई। शुक्रवार को ट्रैफिक पुलिस व आरटीओ प्रवर्तन दल ने दादानगर, भौंती, अर्मापुर में अभियान चलाकर 16 वाहनों को बंद किया, जिसमें से आठ को सीज कर दिया गया।। इनमें शताब्दी, कल्पना, लकी, विजय ट्रेवल्स की बसें शामिल थी।
जीएसटी को क्यों नहीं किया शामिल
निजी बसों में सबसे बड़ा खेल माल ढुलाई का है। हर बस में भारी मात्रा में माल कानपुर से दूसरे प्रदेशों में ले जाया जाता है। आरटीओ अधिकारियों ने शनिवार को चले अभियान में बसों में अधिक सवारियां बैठाने, परमिट शर्तों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की, जिसमें अधिकतम दस हजार रुपये का चालान होता है। जबकि असली खेल माल ढुलाई का था। सवाल यह है कि क्या यह माल जीएसटी चुकाकर ले जाया जा रहा था। आरटीओ ने यातायात विभाग को तो अभियान में शमिल किया, लेकिन जीएसटी को इसके बारे में कोई सूचना ही नहीं दी।
- -परमिट के नियमों का उल्लंघन और ओवरलोङ्क्षडग को लेकर चालान किया गया है, माल ढोने का मसला वाणिज्य कर विभाग का है जो उसे देखना चाहिए।