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अब कोरोना संक्रमण का रिस्क बेहद कम, डेल्टा वैरिएंट नहीं कर पाएगा असर।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि 2020 के सीरो सर्वे में प्रदेश की सिर्फ 20-23 फीसद आबादी में एंटीबाडी मिली थी लेकिन दूसरी लहर ने तकरीबन सभी को छू लिया। परिवार के सभी सदस्य संक्रमित पाए गए। 90 फीसद में अब हर्ड इम्युनिटी बन गई है।
मेरठ। कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचाई, वहीं संक्रामकता ज्यादा होने से हर्ड इम्युनिटी भी बना गई। सीरो सर्वे के परिणाम बेहद उत्साहजनक मिले हैं। मेडिकल कलेज की माइक्रोबायोलोजी लैब में पहले दिन ओरैया और दूसरे दिन मेरठ के सीरो सैंपलों की जांच की गई, जिसमें 80-90 फीसद में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी पाजिटिव मिली है। 70 फीसद आबादी संक्रमित होने से हर्ड इम्युनिटी-(सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता) बन जाती है, जिसके बाद संक्रमण का खतरा बेहद कम रह जाएगा।
सालभर में चार गुना आबादी संक्रमित
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि 2020 के सीरो सर्वे में प्रदेश की सिर्फ 20-23 फीसद आबादी में एंटीबाडी मिली थी, लेकिन दूसरी लहर ने तकरीबन सभी को छू लिया। परिवार के सभी सदस्य संक्रमित पाए गए। पहली की तुलना में दूसरी लहर 64 फीसद ज्यादा संक्रामक थी, ऐसे में वायरस तेजी से फैला। प्रदेश सरकार ने सीरो सॢवलांस के जरिए यह जानने का प्रयास किया कि कितनों में वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बन चुकी है। इसी के लिए मेरठ में नौ से 11 जून तक शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 18 स्थानों से करीब डेढ़ हजार लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। मेडिकल कालेज में 12 और 13 जून को करीब तीन हजार लोगों के सैंपलों में आइजीजी-(इम्युनोग्लोबलिन्स) की जांच की गई। ज्यादातर सैंपलों में पर्याप्त मात्रा में एंटीबाडी टाइटर मिला है।
क्या है एंटीबाडी जांच
संक्रमण के बाद शरीर में सबसे पहले आइजी-एम यानी इम्युनोग्लोबुलिन-एम एंटीबाडी बनती है, जो 15 दिन में खत्म हुई। इसके बाद आइजी-जी यानी इम्युनोग्लोबुलिन-जी एंटीबाडी बनती है, जो शरीर में लंबे समय तक रहेगी। माइक्रोबायोलोजी लैब आईजी-जी की जांच कर रही है, जो तकरीबन सभी में पाजिटिव मिल रही है। यह वायरस के खिलाफ शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली बना देती है, ऐसे में इसी वैरिएंट का वायरस दोबारा संक्रमित नहीं कर पाएगा।
वैक्सीन ने भी बनाई एंटीबाडी
सीरो सर्वे में ऐसे लोगों का भी सैंपल लिया गया, जिन्हेंं वैक्सीन लगी थी। उनमें उम्र के मुताबिक अलग-अलग मात्रा में एंटीबाडी मिल रही है। कोरोना वायरस में स्पाइक प्रोटीन होता है, जिसके खिलाफ लोगों में एंटीबाडी बनी है। टीका लेने से भी पर्याप्त सुरक्षा बन रही है।
इनका कहना है
पिछली लहर में कुल 21, जबकि दूसरी लहर में महज दो माह में 45 हजार से ज्यादा नए संक्रमित मिले। जबकि कई गुना एसिम्टोमेटिक रहे होंगे, जिनकी जांच नहीं हो पाई। अगर ज्यादातर में वायरस संक्रमित होकर निकल गया तो बड़ी राहत की बात है। हर्ड इम्युनिटी बनने से तीसरी लहर का रिस्क बेहद कम रह जाएगा।