अब कानों पर भी असर डाल रहा कोरोना, सुनने की शक्ति प्रभावित, पंजाब में आ रहे हैं ऐसे मरीज

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RGAन्यूज़

कोराेना वायरस के कारण अब कान में दिक्‍कत हो रही है। (सांकेतिक फोटो)

Corona in Punjab कोेरोना मरीजों में इसका दुष्‍प्रभाव पड़ रहा है। कोरोना के विभिन्‍न दुष्‍प्रभाव के बाद अब कान पर भी असर पड़ रहा है और सुनने की शक्ति प्रभावित हो रही है। पंजाब में ऐसे मरीज काफी संख्‍या में अस्‍पतालों में आ रहे हैं।

लुधियाना। कोरोना से ठीक हो चुके लोगों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। लोगों को नई-नई बीमारियां जकड़ रही हैं। ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, मेंटल डिसआर्डर के बाद अब कुछ मरीजों को कानों में घंटी और सीटी बजने की आवाज महसूस हो रही है। कई लोगों को तो सुनना भी बंद हो गया है। इस कारण उन्हें हेय¨रग एड तक लगानी पड़ रही है।

शहर के प्राइवेट अस्पतालों में इएनटी विशेषज्ञों के पास रोजाना कई मरीज इस तरह की शिकायत के साथ पहुंच रहे हैं। फोर्टिस अस्पताल के ईएनटी विभाग के हेड डा. रजत भाटिया का कहना है कि ओपीडी में रोजाना 30 से 50 साल की उम्र के 20 से 30 प्रतिशत कोरोना से ठीक हो चुके मरीज आ रहे हैं जिन्हें कान में घंटी या सीटी की आवाज सुनाई दे रही है। इस समस्या के कारण उन्हें रात को नींद नहीं आ रही है। उनका कहना है कि कानों में घंटी या सीटी बजने के कई कारण हो सकते हैं।

इसमें एक कारण यह है कि कोरोना वायरस नाक से जरिए ओवरआल इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। हालांकि अब तक इस बात का पुख्ता सुबूत नहीं है। उन्होंने कहा चूंकि नाक और कान बहुत ज्यादा कनेक्टेड रहते हैं, ऐसे में जो भी इंफेक्शन नाक में आ रही है, वो अगर कान में जाती है तो वायरल इंफेक्शन की वजह से रिएक्शन आता है। इसके चलते कान के सेल्स डैमेज हो जाते हैं। दूसरी वजह यह हो सकती है कि जब नाक में वायरस का असर आता है, तो कोल्ड टाइप सिमटम हो जाता है

रेशा या म्यूकरर्स की वजह से कान के अंदर भारीपन या कान के अदंर फ्लूड आ जाता है। इससे भी कानों में घंटी बजने जैसा महसूस होने लगता है। इसके अलावा एक वजह यह भी हो सकती है कि कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अकेलेपन को दूर करने के लिए कई दिनों तक हेड फोन इस्तेमाल करते हैं। हेड फोन का अत्याधिक इस्तेमाल भी सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

डा. भाटिया ने कहा कि इस बीमारी का इलाज है, अगर मरीज अगर समय पर आ जाएं। इसमें केवल दवा का रोल नहीं, बल्कि काउंसलिंग भी करते हैं। मरीज के इनवायरमेंट को बदलकर देखते हैं। उन्हें हेड फोन का इस्तेमाल बंद करने को कहते हैं अलग-अलग तरह की आवाजें सुनने के लिए कहते हैं। अगर हेयरिंग लास है, तो हेयरिंग एड (सुनने वाली मशीन) लगाते हैं। जिससे साउंड उंची हो जाती है और घंटियां सुनाई देना बंद कर देती है। आखिरी स्टेज पर कान के अंदर स्टीरायड इंजेक्ट करते हैl

दीप अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रमुख डा. राजीव कपिला भी कहते हैं उनके पास भी कोरोना से ठीक हो चुके ऐसे कई मरीज आ आ रहे हैं, जिन्हें अब एक कान में भारीपन, सीटी व घंटी की आवाज महसूस हो रही है। कोरोना मरीजों की सुनने की शक्ति को प्रभावित कर रहा ह

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