आरबीएसके योजना के तहत तैनात होंगे दो महिला चिकित्सक, होगा नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार

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RGA न्यूज़

स्वास्थ्य विभाग को शीघ्र विज्ञप्ति निकालने और डाक्टरों की तैनाती करने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि नियमित स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार के लिए आबीएसके योजना का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने योजना की समीक्षा की। कहा कि जिले को गुणवत्तापूर्ण उपचार सुविधा उपलब्ध करानी है। योजना के तहत दो महिला चिकित्साधिकारी का चयन करना है।

बागेश्वर:- नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना जिले में भी संचालित की जा रही है। जिसके सफल संचालन के लिए दो महिला डाक्टरों की तैनाती होगी। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाएगी। स्वास्थ्य विभाग शीघ्र विज्ञप्ति निकालेगा और निर्धारित मानकों का पालन करेगा।

मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि नियमित स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार के लिए आबीएसके योजना का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने योजना की समीक्षा की। कहा कि जिले को गुणवत्तापूर्ण उपचार सुविधा उपलब्ध करानी है। योजना के तहत दो महिला चिकित्साधिकारी का चयन करना है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को शीघ्र विज्ञप्ति निकालने और डाक्टरों की तैनाती करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में यदि लाभार्थियों को कुछ विशेष योग्यता, अनुभव, डिग्री के अनुरूप अधिमान्यता दी जानी है तो उसका भी विज्ञप्ति में स्पष्ट उल्लेख किया जाए।

उन्होंने जनपद को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, मरीजों का गुणवत्तापूर्ण उपचार करने के लिए योजना के तहत डाक्टरों की तैनाती के निर्देश दिए। बैठक् में मुख्य विकास अधकारी डीडी पंत, अपर जिलाधिकारी चंद्र सिंह इमलाल, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बीडी जोशी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी बीके सक्सेना, मुख्य चिकित्साधीक्षक लक्ष्मण सिंह बृजवाल, वरिष्ठ कोषाधिकारी पूरन चंद्र उप्रेती, जिला सूचना विज्ञान कें अधिकारी भावेश जगरिया आदि मौजूद थे।

क्या है आरबीएसके

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक नवोन्मेषी व सार्थक पहल है। इसमें बाल स्वास्थ्य जांच और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का लक्ष्य किया गया है। यह चिकित्सकीय स्थितियों की प्राथमिक पहचान, देखभाल, एवं उपचार के बीच संबंध के लिए एक व्यवस्थित प्रणामी है। इस कार्यक्रम की खास बात है कि इसमें स्कूली स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शामिल है। इसके तहत जन्म से 18 साल तक के बच्चों में विशिष्ट रोग की पहचान व उपचार करना है। इन चार परेशानियों में जन्‍म के समय जन्म दोष, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है।

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