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धारावी में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है।
एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया कहलाने वाला मुंबई के धारावी में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है और सक्रिय मरीजों की संख्या भी 13 बतायी गयी है। दो माह पहले यहां 1 हजार से अधिक केस थे।
मुंबई:-कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के बाद पहली बार देश की सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। इस इलाके में वर्तमान समय में सक्रिय मामलों की संख्या मात्र 13 बतायी गई है जबकि दो माह पहले 1 हजार से अधिक थे।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अनुसार, नागरिक अधिकारियों के प्रयासों के अलावा यहां के निवासी निर्देशों का पालन करने में सक्रिय थे। इसलिए संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिली। इसके अलावा संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों की भागीदारी ने भी बहुत मदद की।
पिछले साल 1 अप्रैल में धारावी में कोरोना संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। अब तक यह सातवीं बार है जब झुग्गी में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। यह सोमवार को दूसरी लहर में पहली बार हुआ। दूसरी लहर के दौरान धारावी में दर्ज किए गए एकल-दिवसीय मामलों की संख्या
इस साल 8 अप्रैल को 99 थी। इसके बाद, यह संख्या पूरे अप्रैल में 60 और 70 के बीच रही, कभी-कभी 50 तक गिर गई। मई में ही यह 50 से नीचे चला गया था और मई के अंत तक यह 20 से नीचे गिरना शुरू हो गया था। जून के पहले सप्ताह में कुछ उम्मीदें दिखी क्योंकि सक्रिय मामले कम होने लगे और कम दैनिक मामले दर्ज किए गए। क्षेत्र के 13 सक्रिय मामलों में से छह होम क्वारंटाइन में हैं, तीन आइसोलेशन सेंटर में और चार अस्पताल में भर्ती हैं।
सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में टीकाकरण अभियान की गति तेज होने से संक्रमण को और फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। क्षेत्र में अब तक 22,000 से अधिक लाभार्थियों का टीकाकरण किया जा चुका है। क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों के साथ समन्वय में नागरिक अधिकारियों ने नागरिकों तक पहुंचना शुरू कर दिया है ताकि वे टीका लगवा सकें।
संक्रमित लोगों को समय पर आइसोलेट किया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए बीएमसी वार्ड कार्यालय क्षेत्र में बड़ी संख्या में परीक्षण कर रहा है। सहायक नगर आयुक्त, किरण दिघवकर ने कहा, “मोबाइल परीक्षण वैन, घर-घर स्क्रीनिंग और हमारे अधिकारियों, स्वयंसेवकों और गैर सरकारी संगठनों के समन्वित प्रयासों ने इस लक्ष्य को बार-बार हासिल करने में मदद की है।”