कुल्लू के आठ शिक्षकों ने की पहल, जंगल में बना दिए दो तालाब

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RGA न्यूज़

कुल्‍लू में 8000 लीटर से 10000 लीटर क्षमता वाले दो तालाब का निर्माण किया गया।

कुल्लू के सचाणी से लगभग 7000 फीट की ऊंचाई पर लालगीधार में शिक्षकों द्वारा गौवंश पशु पक्षियों एवं जीव जंतुओं को पानी के पीने के लिए लगभग 8000 लीटर से 10000 लीटर क्षमता वाले दो तालाब का निर्माण किया गया।

कुल्‍लू जिस भी युक्ति से संभव हो सके, जल को बचाया जाना आवश्यक है। वर्षा के जल का संचयन करने के लिए कुल्लू जिला के सचाणी में वसुधारा कल्याण समिति ने अनोखी पहल की है। कुल्लू के सचाणी से लगभग 7000 फीट की ऊंचाई पर लालगीधार में शिक्षकों द्वारा गौवंश, पशु पक्षियों एवं जीव जंतुओं को पानी के पीने के लिए लगभग 8000 लीटर से 10000 लीटर क्षमता वाले दो तालाब का निर्माण किया गया।

इसके लिए समिति के सदस्यों को तीन दिन का समय लगा। इस दौरान सभी 11 लोग जंगल में ही रहे और तालाब का निर्माण करवाया। हैरानी की बात है कि जहां पर शासन प्रशासन कई महिनों में इस तरह की पहल नहीं कर पाए लेकिन समिति के सदस्यों का ज्जवा देख हर कोई दंग रह गया है। वन क्षेत्र में तालाबनुमा गड्ढों के जरिये पानी को सहेजा जाएगा और इसका संरक्षण भी यहीं लोग करेंगे। पर्वतीय क्षेत्र की असिंचित भूमि और गंभीर जल संकट को देखते हुए वसुधारा कल्याण समिति ने यह पहल की है। इससे अब प्राकृतिे पेयजल स्त्रोत भी रिचार्ज होंगे और जंगलों में रह रहे पशु, पक्षियों और जीव, जंतुओं को भी पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

क्या कहते हैं समिति के अध्यक्ष

समिति के अध्यक्ष हरमेश लाल ने बताया कि पहले हमने बैठक की और उसमें सभी सदस्यों ने जंगल में पशु पक्षियों और जीव जंतुओं को पीने की पानी की समस्या आ रही है। इसी को देखते हुए जंगल में तालाब बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद लालगीधार में तालाब बनाने गए और तीन दिन बाद रविवार को तालाब बनाकर जंगल से लौटे हैं। अगला कार्य कुफरीधार जंगल में एक कुंआ और एक तालाब का निर्माण किया जाएगा।

इन लोगों ने बनाए तालाब

समिति अध्यक्ष शिक्षक हरमेश लाल शर्मा, महासचिव विनोद शर्मा, प्रताप ठाकुर प्रवक्ता, किशोर ठाकुर शिक्षक, योधराज पराशर शिक्षक, शुभूदयाल शर्मा शिक्षक, राम देव शर्मा शिक्षक, नरेश शर्मा शिक्षक, मदन शर्मा शिक्षक, वरुण शर्मा छात्र, मनोज ठाकुर छात्र ने भाग लिया।

वन्य जीवन के लिए भी संजीवनी

गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही जंगल में बने तालाब सूखने लग जाते हैं। इससे वन्यजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। इससे वन्य जीव जंतु ग्रामीण इलाकों की ओर अपना रूख करते हैं और ग्रामीणों को नुक्सान पहुंचाते हैं। वनभूमि पर बने तालाब वन्यजीवों की प्यास बुझाने में सफल रहेंगे।

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