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ऊबड़-खाबड़ खड़ंजे, जल निकासी की व्यवस्था बदहाल
विकास से कोसों दूर है बरहन का महावतपुर गांव बारिश के दिनों में खराब हो जाते हैं हालात
आगरा:- प्रदेश सरकार हर ओर विकास की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर एक गांव ऐसा भी है, जो विकास से कोसों दूर नजर आता है।
बरहन के गांव महावत पुर में ऊबड़-खाबड़ खडं़जों से लोगों का निकलना दूभर है। जलनिकासी की व्यवस्था न होने के कारण घरों से निकलने वाला पानी गलियों में बहता रहता है। बारिश के दिनों में तो यहां के हालात और भी ज्यादा खराब हो जाते हैं। गांव की गलियां और रास्ते दल-दल में तब्दील हो जाते हैं। गांव में पिछले पांच साल से कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। वहीं गांव में पेयजल की सप्लाई के लिए बनी दो टीटीएसपी की टंकी में से एक की चालू है। जिस पंचायत का गाव वही तक नहीं रास्ता
ग्रामीणों ने बताया कि महावतपुर गाव जिस ग्राम पंचायत महावत पुर का हिस्सा है वहां तक जाने के लिए रास्ता तक नहीं हैं। ग्राम पंचायत तक जाने के लिए अन्य गावों में होकर गुजरना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों को भी गांव की याद बस चुनावों के दौरान ही आती है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से ग्रामीण नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। गांव के विकास के लिए कोई भी आगे नहीं आता
कृष्ण कृपा शर्मा, ग्रामीण गाव विकास की राह देख रहा है। गाव में केवल दो सीसी मार्ग निर्माण हुआ। इसके बाद कोई विकास कार्य गांव में नहीं कराया गया।
कृपा शकर शर्मा, ग्रामीण गाव में आपसी विवाद के कारण विकास कार्य नहीं हो पाते हैं। किसी भी कार्य से पहले ग्रामीणों का विवाद कार्य को रुकवा देता है।
रामपाल पुंढीर, पूर्व प्रधान पति गांव से बात कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं गई हैं। जल्द ही गांव की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयास किया जाएगा।
हरी सिंह, वर्तमान प्रधान जर्जर पानी की टंकी से सता रहा हादसे का डर, शिकायत
आगरा। अकोला कस्बे की जाटव बस्ती में बनाई गई पानी की टंकी जर्जर हालत में है। इससे लोगों को हादसे से का डर सता रहा है। मंगलवार को समाजसेवी अरविंद चाहर ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत कर नई टंकी निर्माण की मांग की है। समाजसेवी ने बताया कि कस्बा की टंकी का निर्माण 40 वर्ष पहले कराया गया था। मरम्मत न होने की वजह से यह अब गिरासू हैं। टंकी की सीढ़ी कई जगह से टूट रही है। छत भी कई जगह से टूटने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि टंकी के पास मुहल्ले के बच्चे खेलते हैं किसी दिन अगर हादसा हो गया तो बच्चों की जान भी जा सकती है। कई बार शिकायत के बाद भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।