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पंचायत चुनाव को लेकर मेरठ में सपा-रालोद ने बनाई रणनीति।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है यह राजनीति के नए-नए रंग ओढ़ रहा है। सपा व रालोद के वरिष्ठ अधिकारियों ने चुनाव के लिए बनाई रणनीति। लोगों ने ली चुटकी प्रत्याशी आए न सदस्य फिर भी बन गई रणनीति।
मेरठ,जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है यह राजनीति के नए-नए रंग ओढ़ रहा है। सपा व रालोद के वरिष्ठ नेताओं के बीच संयुक्त बैठक हुई, इसमें रणनीति बनाई गई कि कैसे भाजपा से मुकाबला करके जीत हासिल की जाए। मगर प्रतिद्वंद्वियों व अन्य लोगों ने इसमें चुटकी ली। मजाक इसलिए उड़ा कि इसमें सपा व रालोद की संयुक्त प्रत्याशी सलोनी नहीं शामिल हुईं। सपा के कई सदस्य भी नहीं पहुंचे। यहां तक कि सलोनी को बसपा से खींचकर सपा में शामिल कराने से लेकर आगे की रणनीति में अगुवा रहे अतुल प्रधान बैठक में आने के बजाय कहीं व्यस्त हो गए।
माना जा रहा है कि पहले अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अतुल प्रधान अगुवाई कर रहे थे, लेकिन जब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनसे जिम्मेदारी खींचकर पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर को दे दी तब से शायद वह खिन्न चल रहे हैं।
वहीं कुछ राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अतुल प्रधान इसलिए थोड़ा शिथिल हुए हैं कि इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री और जिलाध्यक्ष की ताकत की जानकारी पार्टी हाईकमान तक पहुंचे। बहरहाल जो भी कारण रहा हो पर इन सब कयासों ठिकाने लगाते हुए सबका जवाब जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने दिया है। उनका कहना है कि रणनीति सिर्फ सपा व रालोद के वरिष्ठ नेताओं को बनानी थी उनके बीच ही बैठक थी। जिला पंचायत सदस्य बुलाए गए थे न ही प्रत्याशी। कुछ सदस्य बिना बुलाए ही चले आए थे इसलिए वे मौजूद रहे। रही बात अतुल प्रधान की तो वह एक जरूरी काम से बाहर गए थे। बैठक बुलाने से लेकर रणनीति तय होने तक में अतुल लगातार संपर्क में रहे। गौरतलब है कि इस बैठक में वरिष्ठ नेताओं में सपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह, विपिन मनोठिया व रालोद से पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा, यशवीर सिंह व सुनील रोहटा ने रणनीति तय की।