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गोंडा में नहर खुदाई करने का विरोध करते किसानों को पुलिस ने खदेड़ा।
गोंडा में 12 से अधिक जेसीबी लगाकर नहर की खोदाई शुरू कर दी गई। किसानों का कहना है कि वर्ष 2010 में बिना किसी सूचना व नोटिस के जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया। इसकी किसानों को वर्ष 2018 में जानकारी हुई। सभी को मुआवजा भी नहीं दिया गया।
गोंडा, देहात कोतवाली के सालपुर धौताल गांव के बाहर से निकल रही धनईपट्टी नहर की बिना मुआवजा दिए खोदाई किए जाने से किसान उग्र हो गए। किसानों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के कई थानों की पुलिस, पीएसी, फायर बिग्रेड, एंबुलेंस के साथ प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंच गए। प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने खदेड़ दिया। इसके बाद 12 से अधिक जेसीबी लगाकर नहर की खोदाई शुरू कर दी गई। इससे किसानों में आक्रोश है।
किसानों का कहना है कि वर्ष 2010 में बिना किसी सूचना व नोटिस के जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया। इसकी किसानों को वर्ष 2018 में जानकारी हुई। पूर्व प्रधान बेनीमाधव सिंह ने बताया कि सामूहिक रूप से प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया। 40 किसानों को मुआवजा भी नहीं दिया गया। शुक्रवार की सुबह बिना किसी सूचना के सिंचाई विभाग के अफसर व ठेकेदार जेसीबी के साथ गांव पहुंच गए। नहर की जबरन खोदाई शुरू कर दी, जबकि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
सतीश यादव, कलावती, फूलचंद, राजेंद्र सिंह, लीलावती आदि ने बताया कि मुआवजा भी नहीं दिया गया। फसल भी नष्ट कर दी गई है। उन लोगों के सामने समस्या पैदा कर दी गई है। प्रशासन व सिंचाई विभाग के अधिकारी मनमानी करने पर उतारू हैं। किसानों ने नए रेट से मुआवजा न मिलने पर आत्महत्या किए जाने की चेतावनी दी है। अधिशासी अभियंता सरयू नहर खंड प्रथम सतीश कुमार ने बताया कि पैसा किसानों का सरकारी खाते में जमा है। किसान अपना पैसा वहां से ले सकते हैं। पुराने रेट पर ही जमीन का मुआवजा मिल सकता है।
आठ महीने से धरने पर बैठे हैं किसान
हलधरमऊ ब्लॉक के परसागोड़री शिवशंकर पुरवा के किसान बीते आठ महीने से धरने पर बैठे हैं। किसानों का कहना है कि मृतकों के नाम से जमीन अधिग्रहीत कर ली गई, जबकि अधिग्रहण से पूर्व ही उनकी मौत हो चुकी थी। जमीन की बहाली व नए सर्किल रेट से उन लोगों को मुआवजा दिलाए जाने की मांग को लेकर किसान आठ महीने से आंदोलित हैं।