पेट भरें, जेब नहीं, आगरा में इनका सहारा नहीं बन पा रही सरकारी योजनाए

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RGA न्यूज़

चौराहों पर हाथ फैलाते बच्चों के सामने बेबसी और लाचारी के पीछे सिस्टम की नजरअंदाजी भी है

भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को चाइल्ड स्पांसरशिप योजना का मिल सकता है लाभ। पहचान और पते के प्रूफ न होने के कारण सरकार की सुविधाओं से हैं वंचित। शहर के चौराहों पर हाथ फैलाते बच्चों के सामने बेबसी और लाचारी के पीछे सिस्टम की नजरअंदाजी।

आगरा, रहने को छत नहीं। खाने को अनाज नहीं। निवाले के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। इसके बाद भी ये अभागे सरकारी रिकार्ड में गरीबी रेखा से नीचे नहीं दर्ज हो पा रहे। कई परिवारों के पास तो अपनी पहचान भी नहीं है। ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए कई योजनाएं हैं। इसके बाद भी सरकारी योजनाओं का इनको लाभ नहीं मिल पा रहा है।

शहर के चौराहों पर लोगों के साथ हाथ फैलाते बच्चों के सामने बेबसी और लाचारी के पीछे सिस्टम की नजरअंदाजी भी है। दैनिक जागरण की मुहिम से बच्चों को रुपये मिलना बंद हुआ तो उन्होंने मुंह खोलना शुरू किया है। अभी वे किसी गैंग के बारे में तो जानकारी नहीं दे रहे। अपनी गरीबी और लाचारी की दास्तां सुनाने लगते हैं। हरीपर्वत चौराहा पर खड़े एक 12-14 वर्ष के बालक से पूछा गया कि भीख मांगने क्यों आते हो? तो उसने यही कहा कि साहब खाली बिस्कुट या नमकीन से पेट नहीं भरेगा। उनके पीछे परिवार में और भी सदस्य हैं। उनके लिए रेाटी और दूध भी जरूरी है। उसकी तरह अन्य बच्चे भी यही कह रहे थे कि वे काम भी कर नहीं सकते। चौराहे पर खड़े होकर मांगें नहीं तो वे क्या खाएंगे। यह हाल तब है जब सरकार ऐसे परिवारों की मदद के लिए योजनाएं चला रही है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे लोगों के बच्चों के सम्मान, स्वाबलंबन और सुरक्षा को लेकर स्पांसरशिप योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत एकल, दिव्यांग अभिभावकों और अनाथ बेसहारा बच्चों को प्रतिमाह दो हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। जिला स्तर पर जिला प्रोवेशन अधिकारी और बाल कल्याण समिति ग्राम पंचायत, ब्लाक स्तर से आने वाले आवेदनों को स्वीकृत करते हैं। इसके बाद इस योजना के तहत प्रतिमाह दो हजार रुपये मिलते हैं। मगर, इस योजना से भी कोई बच्चा या परिवार लिंक नहीं किया गया है। जब-तब भिक्षावृत्ति खत्म करने को सड़कों पर अभियान चला दिया जाता है। मगर, इस अोर ध्यान नहीं दिया जाता है कि इन बच्चों को योजनाओं का लाभ कैसे मिले।अधिकतर परिवारों के पास आधार कार्ड भी नहीं हैं। ऐसे में इनकी पहचान भी संदिग्ध हो जाती है। ऐसे परिवारों का वेरीफिकेशन करके आधार कार्ड व अन्य पहचान के दस्तावेज तैयार कराए जाएं। ताकि इन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।

भिक्षावृत्ति कराने वाले गैंगस्टर का हौंसला पस्त करने के लिए बहुत अच्छी पहल और सोच है। मैं भी किसी को भी भीख में पैसे न देकर खाने-पीने की वस्तुएं दूंगी। अपने परिवार और मित्रों को भी ऐसा करने को बोलूंगी।

रश्मि अग्रवाल, पीपी विला मारुति एस्टेट

जागरण ने बहुत अच्छी मुहिम शुरू की है। अब हम भी किसी को रुपये नहीं देंगे। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।

डा. थॉमसन चौधरी

भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को दूर करने के लिए गैंग पर चोट बहुत जरूरी है। जागरण की इस मुहिम से यह संभव हो सकती है। हम भी इस मुहिम में साथ हैं।

डा. मनोज राना

भिक्षावृत्ति को रोकना बहुत जरूरी है। अब तक हम बच्चों को रुपये दे देते थे। अब हम भी भीख में रुपये नहीं नहीं देंगे। खाने-पीने की वस्तुएं देंगे। हम यह संकल्प लेते हैं।

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