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RGAन्यूज़
मानव-वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए वन्यजीवों के आहर वाले जंगल होंगे विकसित
मानव-वन्य जीव संघर्ष वन विभाग के लिए साल दर साल चुनौती बनता जा रहा है। इसी चुनौती को कम करने के लिए तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने वन्य जीवों के आहर वाले पेड़ों को लगाने की कवायद शुरू कर दी
रामनगर : मानव-वन्य जीव संघर्ष वन विभाग के लिए साल दर साल चुनौती बनता जा रहा है। इसी चुनौती को कम करने के लिए तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने वन्य जीवों के आहर वाले पेड़ों को लगाने की कवायद शुरू कर दी है। वन विभाग 326 हेक्टेयर में मिश्रित प्रजाति का जंगल तैयार कर रहा है।
इसलिए आबादी में पहुंचते हैं बाघ और तेंदुए
तराई पश्चिमी वन प्रभाग का जंगल आबादी से सटा हुआ है। ऐसे में वन्य जीव भोजन की तलाश में जंगल से आबादी का रुख करते हैं। ऐसे में वह फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इन्हीं वन्य जीवों के पीछे बाघ और गुलदार जैसे हिंसक जीव भी आबादी में आकर लोगों पर हमलावर हो जाते हैं। जिससे कई बार टकराव का खतरा बना रहता है।
पौधे लगाने लिए हो रही जुताई
अब वन्य जीवों को जंगल में ही रोकने के लिए वन विभाग ने बैलपड़ाव व आमपोखरा क्षेत्र के 326 हैक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित प्रजाति का जंगल विकसित करना शुरू कर दिया है। इसके लिए जुताई करके पौधे लगाने का काम शुरू होने वाला है। कुमाऊं की मुख्य वन संरक्षक तेजस्विनी पाटिल भी बीते दिनों मिश्रित प्रजाति के जंगल बनाने की तैयारियों का जायजा ले चुकी है
मिश्रित जंगल किया जाएगा तैयार
मिश्रित जंगल में वन्य जीवों के आहर वाले बहेड़ा, रोनी, तेंदू, बरगद, हल्दू, सेमल, आंवला, खैर, जामुन, कुसुम समेत अनेक प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। डीएफओ बीएस शाही ने बताया कि मिश्रित प्रजाति के जंगल को बढ़ावा मिलने से वन्य जीवों को इसका फायदा मिलेगा। मिश्रित प्रजाति के जंगल विभाग के भीतर ही कुछ नई जगह में भी विकसित किए जाएंगे।