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RGA न्यूज़
शिवराज सरकार ला रही नया कानून। टाइटलिंग एक्ट में होगा खरीदार के हितों को संरक्षित करने का प्रविधान। धोखाधड़ी हुई तो मिलेगा मुआवजा।
भोपाल। मध्य प्रदेश में जमीन खरीदने में गड़बड़ी या धोखाधड़ी का अब कोई डर नहीं होगा। कोई भी खरीदार जमीन खरीदने के पहले यह जान सकेगा कि उस भूमि को लेकर कोई विवाद तो नहीं है। किसी न्यायालय में कोई प्रकरण तो नहीं चल रहा है और जो जमीन बेच रहा है, वह वाकई में उसकी है या नहीं। भूमि पर बकाया ऋण या कुर्की का मामला तो नहीं है।
दरअसल, जमीन के मामलों में धोखाधड़ी के कई प्रकरण सामने आते हैं और खरीदार उलझ जाते हैं। लंबे समय तक कानूनी प्रक्रिया चलती रहती है। इसे देखते हुए शिवराज सरकार नया कानून लाने जा रही है। इस टाइटलिंग एक्ट में यह प्रविधान किया जा रहा है कि जिस भूमि को बेचा जा रहा है, उससे संबंधित जानकारी यदि गलत होती है तो विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही खरीदार को मुआवजा भी मिलेगा।
राजस्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार ने मॉडल टाइटलिंग एक्ट का प्रारूप सभी राज्यों को भेजा है। मध्य प्रदेश में इसे लागू करने का सैद्धांतिक निर्णय हो चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अधिकारियों की प्रारंभिक बैठक हो चुकी है और तब से लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। दरअसल, जो भूमि जिसकी है, वह उसके नाम से रिकॉर्ड में पूरी जानकारी के साथ होगी। इसके लिए सर्वे होगा और दावे-आपत्ति बुलाकर रिकॉर्ड को अंतिम रूप दिया जाएगा।
यह काम पूरे प्रदेश में एक साथ नहीं बल्कि क्षेत्रवार होगा। जमीन खरीदने में खरीदार के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए कड़े और पुख्ता प्रविधान किए जा रहे हैं। पहली बार खरीदार के हितों के संरक्षण के लिए क्षतिपूर्ति की व्यवस्था रहेगी। दरअसल, खरीदार के साथ धोखाधड़ी हो जाती है तो वो कानूनी प्रक्रिया में उलझकर रह जाता है। समस्या का स्थायी हल निकालने के लिए टाइटलिंग एक्ट में प्रविधान किए जा रहे हैं। इसमें भूमि स्वामी की पहचान पुख्ता होगी।
जैसे ही खरीदार राजस्व विभाग के पोर्टल पर इसे दर्ज करेगा तो भूमिस्वामी की समग्र आइडी सामने आ जाएगी। इसके आधार पर पता चल सकेगा कि जो जमीन बेच रहा है, वह उसकी है या नहीं। साथ ही जमीन से जुड़े अन्य जानकारियां भी सामने आ जाएंगी। इससे धोखाधड़ी होने की संभावना न्यूनतम हो जाएगी। इसके बाद भी यदि गड़बड़ी हो जाती है तो फिर खरीदार को क्षतिपूर्ति दिलाई जाएगी। इसकी वसूली जमीन के मालिक से होगी क्योंकि रिकॉर्ड के मुताबिक उसने जानकारी छुपाई। वहीं, उस अधिकारी के ऊपर भी कार्रवाई होगी, जिसने रिकॉर्ड को अंतिम रूप दिया। इससे जवाबदेही तय होगी
बदलेगा खसरा
आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल ने बताया कि प्रदेश खसरा के प्रारूप में परिवर्तन किया है। प्रत्येक भूमि का एक विशिष्ट पहचान नंबर होगा। इसके खसरे को आधार और समग्र आइडी से जोड़ा जाएगा। इसके लिए पूरा डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। इसमें दावे-आपत्ति बुलाकर रिकॉर्ड को अंतिम रूप दिया जाएगा।