बिनसर और अस्कोट के ईको सेंसिटिव जोन को केंद्र की हरी झंडी, जल्द जारी होगी अधिसूचना

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RGAन्यूज़

बिनसर और अस्कोट के ईको सेंसिटिव जोन को केंद्र की हरी झंडी।

उत्तराखंड में बिनसर और अस्कोट अभयारण्य के चारों तरफ ईको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में ये प्रस्ताव अनुमोदित कर दिए गएगए

देहरादून। उत्तराखंड में बिनसर और अस्कोट अभयारण्य के चारों तरफ ईको सेंसिटिव जोन के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में ये प्रस्ताव अनुमोदित कर दिए गए। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि दोनों अभयारण्यों के ईको सेंसिटिव जोन से सभी गांव बाहर कर दिए गए हैं। सेंसिटिव जोन की सीमा 20 मीटर से सात किलोमीटर तक की परिधि में रखी गई है। अब जल्द ही केंद्र सरकार इन सेंसिटिव जोन की अंतिम अधिसूचना जारी करेगी।

कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा व बागेश्वर जिलों की सीमा में स्थित बिनसर अभयारण्य और पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट अभयारण्य के ईको सेंसिटिव जोन का संशोधित प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। दोनों ही सेंसिटिव जोन से 147 गांवों को बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया। केंद्र ने इन प्रस्तावों को अनुमोदित किया है। 76.019 वर्ग किलोमीटर में फैले बिनसर अभयारण्य के चारों तरफ तीन किलोमीटर तक के क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है।

इसी तरह 600 वर्ग किमी में फैले अस्कोट अभयारण्य के चारों तरफ 454 वर्ग किमी के क्षेत्र को सेंसिटिव जोन के दायरे में लाया गया है। दोनों ही अभयारण्यों के ईको सेंसिटिव जोन से 500 मीटर दूर तय नियमों के तहत विनियमित आधार पर खनन, पत्थर चुगान की अनुमति स्थानीय निवासियों को मिलेगी।

इसके साथ ही सेंसिटिव जोन के नजदीक विनियमित गतिविधियों में वर्किंग प्लान के अनुसार सूखे, गिरे व उखड़े पेड़ों का कटान, होटल व रिसार्ट का निर्माण, सक्षम प्राधिकरणों से भू उपयोग परिवर्तन, जलस्रोतों का संरक्षण, बिजली के टावरों की स्थापना, पहले से निर्मित सड़कों की मरम्मत व निर्माण, हेलीकाप्टर, ड्रोन व गर्म हवा के गुब्बारों की उड़ान आदि को शामिल किया गया है।

इसके अलावा ईको सेंसिटिव जोन में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की स्थापना, लकड़ी का व्यवसायिक उपयोग जैसी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। कृषि, बागवानी, डेरी, मछली पालन, वर्षा जल संरक्षण, जैविक खेती, वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों का विस्तार जैसी गतिविधियां अनुमन्य होंगी।

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