कभी दिव्यांग की लाठी, तो कभी बेसहारा का सहारा बनती दिव्यजीवन

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RGA न्यूज़

निशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर में 10 हजार से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य लाभ ले चुके है।

 भोपाल अपने लिए जिए तो क्या जिए ए दिल तू जी जमाने के लिए। यह बात दिव्यजीवन संस्था के सदस्य सही साबित कर रहे हैं। संस्था की शुरुआत 2017 में हुई थी। दो लोगों से शुरु हुई इस संस्था से आज तीन हजार से ज्यादा सदस्य जुड कर समाज सेवा कर रहे हैं।

संस्था के संस्थापक डॉ संस्कार सोनी ने बताया कि संस्था द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर के आयोजन से 10 हजार से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल चुका हैं। मुस्कुराहट का डिब्बा अभियान के द्वारा 50 हज़ार से ज्यादा लोगों को कपड़े दिए जा चुके हैं। इसी के साथ दिव्यजीवन संस्था दिव्यांग लोगों के लिए भी काम कर रही है। इसमें अब तक सैकड़ों लोगों तक निशुल्क ट्राई साइकिल, नकली हाथ-पैर, व्हिल चेयर, बैसाखी आदि उपलब्ध कर आ चुके हैं। संस्था द्वारा कच्ची बस्ती, सरकारी स्कूल, अनाथ आश्रम में रहने वाले 5000 से अधिक बच्चों को नए जूते पहना चुके हैं।

कई शहरों एवं गांवों मे कार्यरत है संस्था

दिव्यजीवन संस्था भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, ब्यावरा, उज्जेन, जबलपुर के साथ ही राजस्थान के बिजोलिया, कोटा, भीलवाड़ा, गुजरात, बिहार आदी राज्यों में भी जरुरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं। डॉ दिव्या ने बताया कि संस्था के सदस्य 24 घंटे कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों एवं उनके परिवार के लोगों की मदद में लगे थे। आधी रात में भी मरीज को हॉस्पिटल में बेड उपलब्ध करवाना हो या दवाइयां एवं भोजन संस्था द्वारा इस मुश्किल दौर में भी सैकड़ों लोगों की मदद की गई। दिव्यजीवन संस्था द्वारा फ्रंटलाइन वर्कर डॉक्टर्स व पुलिसकर्मियों को 500 पीपीई किट निशुल्क उपलब्ध कराए गए। दिव्यजीवन संस्था द्वारा किन्नर समुदाय के लिए भी विशेष अभियान चलाकर महीने भर का राशन उपलब्ध कराया गया। कोरोना से पीड़ित ऐसे व्यक्ति जो घर पर ही आइसोलेट थे किंतु उनके पास पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर व नेबुलाइजर खरीदने के पैसे नहीं थे उनको भी संस्था ने यह सब उपलब्ध करवाया।

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