बेतिया में चंपारण के मरचा व आनंदी धान की जीआई टैगिंग कराने की पहल शुरू

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RGA न्यूज़

जिला प्रशासन के निर्देश पर कृषि विभाग कवायद शुरू ।

जिन क्षेत्रों में इन प्रजातियों की खेती की जा रही है उससे जुड़े किसानों से बात होगी। इसके लिए जिला कृषि विभाग 28 जून को एक बैठक आयोजित की है। इसमें संबंधित किसानों एवं वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है।

पश्चिम चंपारण। चंपारण में उपहने वाले मरचा व आनंदी धान को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में अब पहल शुरू कर दी गई है। इसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैगिंग के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर कृषि विभाग कवायद शुरू कर दी है। इसमें इन दोनों प्रजातियों के धान के उछ्वव (ओरिजिन) के बाबत साक्ष्य जुटाया जाएगा। इसमें जिन क्षेत्रों में इन प्रजातियों की खेती की जा रही है, उससे जुड़े किसानों से बात होगी। इसके लिए जिला कृषि विभाग 28 जून को एक बैठक आयोजित की है। इसमें संबंधित किसानों एवं वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है। इसके बाद एक प्रस्ताव तैयार कर केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद इसकी जीआई टैङ्क्षगग हो जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी विजय प्रकाश ने बताया कि जीआई टैङ्क्षगग हो जाने से मरचा व आनंदी धान उत्पादन करने वालें किसानों को ज्यादा मूल्य मिलेगा। साथ ही धानों की पहचान अधिकारिक रूप से विश्व स्तर पर हो जाएगी।

चंपारण में 1 हजार एकड़ में होती है मरचा धान की खेती

इस जिले में करीब एक हजार एकड़ में मरचा धान की खेती होती है। इसकी खेती करीब पांच सौ किसान करते हैं। जबकि सौ एकड़ में आनंदी धान की जा रही है। किसान कपिलदेव यादव, आनंद ङ्क्षसह और विजय पांडेय ने जिला प्रशासन की इस पहल की सराहना है। उनका कहना है कि जीआई टैङ्क्षगग से इन उत्पादों की मांग विदेशों में भी होगी और उत्पाद की अलग पहचान होगी।

स्वाद और सुगंध में लाजवाब

इन प्रजातियों की खसियत इनका स्वाद और सुगंध है। ऐसा इस जिले की मिटटी और पानी के कारण है। गोल और काटेधार मरचा धान बेहद सुगंधित होता है। इसका चूड़ा काफी पसंद किया जाता है। आनंदी का इस्तेमाल भूजा बनाने में होता है। मुलायम एवं मीठा स्वाद होता है, जैेसे कि घी सना हुआ हो।

चंपारण की आवो - हवा का कमाल

जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार चंपारण की जलवायु एवं मिट्टी के प्रभाव से धान की इन दो प्रजातियों का अलग ही स्वाद एवं सुगंध है। इनकी खेती के लिए ऐसी अनुकूल जलवायु दूसरी जगह नहीं है। इसी कराण दूसरी जगह की पैदावाार में ऐसा स्वाद नहीं होता।

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