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कृषि कानूनों के साथ अब किसान बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे
तीन कृषि कानूनों को खत्म करने एमएसपी लागू कराने समेत स्थानीय स्तर की कई मांगे किसानों ने सरकार के समक्ष पहले भी रखी हैं। अब तेल के दामों में वृद्धि के खिलाफ भी किसान आंदोलन चलाएंगे। इसका आगाज दो जुलाई को पंजाब में डीसी कार्यालयों पर धरना देकर किया जाए
, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन शीघ्र समाप्त होता नहीं दिख रहा है। न तो सरकार आंदोलनकारियों की मांग पूरी कर रही है और मांग पूरी होने तक आंदोलनकारी भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। जैसे-जैसे आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है, वैसे ही आंदोलनकारियों की मांगें भी बढ़ती ही जा रही हैं। तीन कृषि कानूनों को खत्म करने, एमएसपी लागूकराने समेत स्थानीय स्तर की कई मांगे किसानों ने सरकार के समक्ष पहले भी रखी हैं।
अब तेल के दामों में वृद्धि के खिलाफ भी किसान आंदोलन चलाएंगे। इसका आगाज दो जुलाई को पंजाब में डीसी कार्यालयों पर धरना देकर किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के प्रदेशाध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगराहा, सचिव शिंगारा सिंह मान आदि के नेतृत्व में पंजाब के डीसी कार्यालय में यह धरना प्रदर्शन होगा और सरकार से तेल के बढ़े हुए दामों को वापस लेने की मांग की जाएगी। साथ ही खेती के लिए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की भी मांग की जाएगी।
जोगेंद्र सिंह उगराहा ने बताया कि कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे संघर्ष ने हरियाणा और पंजाब के लोगों के बीच भाईचारे के संबंधों को गहरा कर दिया है। जो पहले पानी, क्षेत्र और बोली के आधार पर विभिन्न दलों के बीच विभाजित थे, वो इन कृषि कानूनों की वजह से एक हो गए हैं। किसानों सहित मजदूर वर्ग और गरीबों को नष्ट करने वाली साम्राज्यवाद विरोधी नीतियों को उलटने के लिए सभी राज्यों के लोगों को पंजाब और हरियाणा के सांप्रदायिक गठबंधन की तरह मिलकर काम करना चाहिए। हर प्रदेश के किसानों को एकजुट होना होगा। एकता दिखानी होगी, ताकि आगे कोई भी सरकार हो वह लोगों की सहमति के बिना कोई कानून या नीति बनाने से पहले सौ बार सोचे।
इन नीतियों को प्रचारित करने के लिए सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में यूपी के मुजफ्फरनगर में एक बड़े किसान सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस सम्मेलन की सफलता के लिए टीकरी बार्डर समेत पंजाब से किसानों का एक काफिला भेजा जाएगा। सम्मेलन की तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं। जोगिंद्र सिंह उगराहा ने बताया कि पांच जून 2020 को अध्यादेश लागू होने के बाद किसानों ने नौ जून को बिलों की प्रतियां जलाकर अपना संघर्ष शुरू किया था। यह अब तक जारी है और जब तक कानून की वापसी नहीं होगी, तब तक किसान घर वापसी नहीं करेगा।