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अपने बाग में लगे फल को दिखाते हरनाम सिंह।
कैथल में किसान पिता के अधूरे सपने को बेटे ने पूरा करने के लिए नौकरी के साथ-साथ खेती की जिम्मेदारी संभाली। चीकू का बाग लगाया। अब दो एकड़ से पांच लाख रुपये कमा रहे हैं। आधा एकड़ से बाग की शुरुआत की थी
कैथल। किसान पिता की मौत के बाद बेटे ने उनके सपने को पूरा करने की ठानी। बेटा ने मेहनत कर दो एकड़ खेत में चीकू का बाग लहलहा दिया। ये सब कर दिखाया है नरवल गांव के किसान हरनाम सिंह से ने।
हरनाम बताते है कि पिता रामचंद्र ने खुद को स्वस्थ रखने के लिए खेत के दो कनाल में चीकू की बगीची लगाई थी और पिता का सपना था कि एक दिन इस बगीची को बाग बनाना है। लेकिन पिता की अचानक मौत हो गई। तो पिता का सपना पूरा करने के लिए बगीची की विशेष देखभाल के लिए बेटा आगे आया और अब उसी बगीची को बाग में बदल दिया है। शुरूआत में बेटे ने आधा एकड़ में चिकू का बाग लगाया, लेकिन धीरे- धीरे अब दो एकड़ में बाग तैयार कर लिया है।
पांच लाख रुपये सालाना कर रहे है आमदनी
किसान बताते है कि वे अपने दो एकड़ के बाग से सीजन पांच लाख रुपये की आमदनी कमा लेते है। उनके चीकू को आसपास के साथ दिल्ली, राजस्थान, यूपी के मंडियों के व्यापारी लेकर जा रहे हैं।
180 के करीब बाग में हैं पौधे
हरनाम सिंह बताते है कि 12 साल पहले 200 के करीब चीकू के पौधे लगाए थे। उनमें से 160 पौधों ने फल देना शुरू कर दिया है। एक पेड़ पर 400 किलो चीकू का उत्पादन हो रहा है। एक लाख रुपये के खर्च से बाग तैयार किया है। 50 रुपये प्रति किलो के भाव से चिकू बिक रहा है।
12 व्यक्तियों को दी हुई है नौकरी
हरनाम ने अब 12 व्यक्तियों को नौकरी दी हुई है। शुरूआत में पौधे पिंजौर व छछरौली युमनानगर के पास से लेकर आए थे। पौधों को पहले फुव्वारों के द्वारा तैयार किया गया। अब पानी के लिए बाग में नाली बना दी है। एक नाली में पानी छोड़ते है। अपने आप सभी पौधों में पानी चला जाता है।