बाराबंकी के अस्पताल में भर्ती गर्भवती को सांप ने डसा, लखनऊ में छह घंटे रेफर का खेल

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RGANEWS

बाराबंकी - आज एक गर्भवती को लापरवाही का सांप डस गया। अस्पताल में जहां सांप कांटने का इलाज होता है वहां भर्ती किसी मरीज की सर्पदंश से मौत होना कुछ अजीब ही लगता है लेकिन त्रिवेदीगंज सीएचसी पर ऐसा ही हुआ। यहां प्रसव के लिए भर्ती एक महिला की सांप के काटने से मौत हो गई। नाराज परिवारीजन ने समय पर डॉक्टर द्वारा इलाज नहीं करने का आरोप लगाकर हंगामा किया। हालांकि उनकी आवाज भी अनसुनी रही। मरीजों के साथ लापरवाही का यह हाल बाराबंकी ही नहीं यूपी राजधानी लखनऊ तक संक्रमित हो चुका है। यहां बीती रात एक तड़पते मरीज के साथ छह घंटे तक इधर दिखाओ-उधर दिखाओ वहां ले जाओ जैसे रेफर के खेल चलते रहे और मरीज इस दुनिया से रेफर हो गया।

इलाज में लापरवाही लेकिन रफरल में नहीं 

बाराबंकी के बीरमपुर निवासी राहुल की पत्नी संजू (21) को प्रसव पीडा होने पर परिवारीजन सीएचसी त्रिवेदीगंज लेकर शुक्रवार की रात करीब 12 बजे आये थे। जहां उसे भर्ती कर लिया गया। मृतका की सास मीना ने बताया कि सुबह करीब चार बजे बहू कमरे के बाहर टहलने निकली थी। जहां बाहर बैठे सांप पर पैर पड़ जाने से उसने काट लिया। आरोप है कि सांप काटे जाने की सूचना तुरंत ड्युटी पर मौजूद डॉ. अविनाश उपाध्याय को दी गई, वह ऊपर कमरे में सोते रहे जब हालत ज्यादा बिगडऩे लगी तो आधे घंटे बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मी के जगाने पर नीचे आकर देख जिला चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया। जिला चिकित्सालय ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। मौत की सूचना पाते ही काफी संख्या में पहुंचे परिवारीजन ने हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने समझा बुझा कर मामला शांत कराया। दरअसल सांप केवल जंगल तक ही सीमित नहीं वह नगरों, गांवों, घरों, दुकानों और अस्पतालों तक पहुंच चुके हैं। जिस तरह लापरवाही की सीमा को किसी विभाग तक नहीं समेटा जा सकता उसी तरह सांपों को भला कहीं आने जाने से कौन रोक सकता है। इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक डॉ. मुकुंद कुमार का कहना है कि लापरवाही नहीं बरती गई है। मामले की जांच कराएंगे अगर कोई दोषी होता है तो कार्रवाई की जाएगी।

तड़पते मरीज को छह घंटे घुमाते रहे डाक्टर

मरीजों के साथ लापरवाही का यहीं हाल यूपी राजधानी लखनऊ तक है। जिसके चलते यहां के यहियागंज में खिलौने की दुकान चलाने वाले युवा व्यवसायी गणेश जायसवाल रात राजधानी के हेल्थ सिस्टम ने असमय मौत की नींद सुला दिया। बीमार गणेश को परिवार वाले अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन चिकित्सक छह घंटे तक इधर से उधर रेफर करने का खेल करते रहे। अंतत: सुबह होते-होते तक गणेश ने दम तोड़ दिया। परिवार वाले बताते हैैं कि 43 वर्ष के गणेश की शुक्रवार रात लगभग एक बजे तबीयत बिगड़ी तो लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी में डाक्टरों ने थोड़ी देर बाद देखा तो कहने में देर नहीं लगाई कि इन्हें हार्ट संबंधी परेशानी है लिहाजा लारी कार्डियोलॉजी ले जाइए और रेफर कर दिया गया। परिवार वालों के पास चूंकि दूसरा कोई विकल्प नही था, लिहाजा थोड़ी ही देर में लारी पहुंच गए। वहां डाक्टरों ने बोल दिया-इनका हार्ट बिल्कुल ठीक हैै, ट्रामा सेंटर ले जाएं। लारी से रेफर होने के बाद केजीएमयू के ट्रामा सेंटर पहुंचे गणेश ने वहां भांजे शिवम से कहा कि उलझन हो रही है, डाक्टर को जल्दी बुलाओ। शिवम और गणेश की पत्नी सुधा और बहन कृष्णा ने वहां मौजूद डाक्टरों से बार-बार देखने की फरियाद की लेकिन, कोई उनकी सुनने वाला नहीं था। समय गुजरता जा रहा था लेकिन, परिवार वालों के गिड़गिड़ाने और अनुरोध पर डाक्टरों की संवेदनहीनता भारी थी। बहुत कहने पर डाक्टरों ने कहा क्या करें बेड खाली नहीं हैै। वेंटीलेटर भी नहीं है, हमारे देखने से क्या होगा? ट्रामा सेंटर में ही ऊपर जाने को कहा गया। ट्रामा सेंटर में तीन बार गणेश को ऊपर-नीचे किया गया। इस बीच उसकी आंखे बंद होने लगी और डाक्टर इधर ले जाओ उधर ले जाओ बताते रहे। परिवार वालों के बार-बार कहने पर डाक्टर ने साढ़े छह बजे सुबह एम्बुलेेंस वाले से जब बात की तब कहीं वह एम्बुलेेंस ट्रामा सेंटर लाने को तैयार हुआ। एम्बुलेंस करीब सात बजे उसे लेकर लोहिया अस्पताल पहुंची। वहां डाक्टरों ने पहली नजर में ही उसे मृत घोषित कर दिया।

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