असाध्य रोगियों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की संभावना अधिक, कारगर साबि‍त हो सकता है वैक्‍सीनेशन

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RGA न्यूज़

असाध्य रोग से ग्रस्त मरीज डाक्टर से लें परामर्श, तत्काल लगवाएं टीका।

डाक्टरों का कहना है कि असाध्य बीमारी से ग्रस्त अधिसंख्य लोगों की प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। ऐसे में वायरस उनके मल्टी ऑर्गन को प्रभावित करने के साथ ही लंबे समय तक उनका पीछा नहीं छोड़ता है।

लखनऊ, असाध्य रोग जैसे कैंसर आदि से ग्रसित मरीज को कोरोना संक्रमण से काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है। महज इसलिए नहीं कि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए भी, क्योंकि संक्रमण से ग्रस्त होने पर उनसे वायरस के नए वैरिएंट के उत्पन्न होने के खतरे की बात भी सामने आने लगी है। नए वैरिएंट से खतरे का स्तर किस हद तक हो सकता है, यह बात तो अभी साबित नहीं हो पाई है, मगर चिकित्सा विज्ञानी नए वैरिएंट से जुड़ी अनिश्चितता को लेकर चिंतित हैं।

दरअसल, डेल्टा प्लस, डेल्टा वायरस के 18वें म्युटेशन (के 417 एन) के बाद नए वैरिएंट के रूप में सामने आया है। डाक्टरों का कहना है कि असाध्य बीमारी से ग्रस्त अधिसंख्य लोगों की प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। ऐसे में वायरस उनके मल्टी ऑर्गन को प्रभावित करने के साथ ही लंबे समय तक उनका पीछा नहीं छोड़ता। यही वो समय है जो नए वैरिएंट के बनने की संभावना अधिक रहती हैं। ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी है।

डाक्टरों का कहना है कि ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए टीकाकरण काफी मददगार साबित हो रहा है। कोवीशील्ड वाइल्ड टाइप यानी मूल वायरस पर 80 प्रतिशत प्रभावी है। डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने पर कोवीशील्ड की दो डोज 60 प्रतिशत तक और एक डोज 33 प्रतिशत रह जाती है। ऐसे में टीकाकरण बेहद जरूरी है।

एसजीपीजीआइ, लखनऊ के निदेशक प्रो. आर के धीमन ने बताया कि असाध्य रोग से ग्रसित मरीज भी अपने चिकित्सक से परामर्श के बाद टीकाकरण जरूर कराएं। टीकाकरण से न सिर्फ उनकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, बल्कि वायरस के नए वैरिएंट के पैदा होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है।

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