अब पुलिसकर्मियों को ठगने वाले गिरोह की तलाश में जुटी साइबर थाना पुलिस 

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RGA न्यूज़

पुलिसकर्मियों से ट्रेजरी अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के तार बिहार, कोलकाता, ओडिशा व मध्य प्रदेश से जुड़े हैं।

लिसकर्मियों से ट्रेजरी अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के तार बिहार कोलकाता ओडिशा व मध्य प्रदेश से जुड़े हैं। पकड़े गए आरोपितों ने पूछताछ में सभी जगहों के लोगों के नाम बताए हैं। पुलिस के मुताबिक इनका सगरना बिहार का है।

अलीगढ़, पुलिसकर्मियों से ट्रेजरी अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के तार बिहार, कोलकाता, ओडिशा व मध्य प्रदेश से जुड़े हैं। पकड़े गए आरोपितों ने पूछताछ में सभी जगहों के लोगों के नाम बताए हैं। पुलिस के मुताबिक, इनका सगरना बिहार का है। जिस खातों में ठगी की रकम को ट्रांसफर किया जाता है, उन्हें ट्रेस करने के साथ अब गिरोह के सस्यों की तलाश की जा रही है। 

छह अप्रैल को दर्ज हुआ था मुकदमा 

अलीगढ़ की शिकायत प्रकोष्ठ के प्रभारी रहे सेवानिवृत्त रणवीर सिंह ने छह अप्रैल को साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। रणवीर 31 मार्च की ही वह सेवानिवृत्त हुए हैं। दो अप्रैल को उन्हें एक अनजान नंबर से काल आया। कालर ने खुद को पुलिस विभाग में ट्रेजरी अफसर बताया। फंड व ग्रेचुअटी का पैसा दिलाने के नाम पर तीन घंटे बातों में उलझाया और एटीएम संबंधी निजी जानकारी हासिल करके ठगी कर ली। डीआइजी दीपक कुमार ने साइबर थाना इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम बनाई। जांच में सामने आया कि ठगी का पूरा पैसा बिहार के अमित नामक शख्स के नोवा पे साल्यूशन के एकाउंट में ट्रांसफर किया गया था। अमित ने उस रकम को कोलकाता के अमरनाथ व अलीगढ़ के गंगीरी थाना क्षेत्र के गांव हसोना जगमोहनपुर निवासी रूपकिशोर के खाते में ट्रांसफर किया। इनमें रूपकिशोर के खाते में साढ़े पांच लाख रुपये भेजे गए। रूपकिशोर ने आगे उन रुपयों को कोलकाता, ओडिशा व मध्य प्रदेश के सात-आठ अलग-अलग खातों में भेजा था। वहीं कुछ पैसे एटीएम से निकाल लिए थे। सोमवार को इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार, एसआइ मनोज व महेश की टीम ने आरोपित रूपकिशोर को गंगीरी क्षेत्र से दबोच लिया। इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि आरोपित जिन-जिन लोगों के संपर्क में था। उन सबके बारे में पता लगाया जा रहा है।

फेसबुक से मध्य प्रदेश के व्यक्ति के संपर्क में आया

आरोपित रूपकिशोर पहले शाहपुर क्षेत्र में गोपाल के जनसेवा केंद्र पर काम करता था। दो साल में वहीं से कामकाज सीखा और बिना आइडी के गंगीरी में अपना खुद का जन-सेवा केंद्र खोल लिया। आरोपित ने पूछताछ में बताया है कि चार-पांच महीने पहले फेसबुक के माध्यम से मध्यप्रदेश के सिंगरौली निवासी राम लल्लू के संपर्क में आया। राम लल्लू नोवा पे का डिस्ट्रीब्यूटर है। उसी ने रूपकिशोर को नोवा-पे का रिटेलर बनाया।

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