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जनपद में ब्लाक प्रमुखी की चारों सीटों पर भाजपा के साथ क्षेत्रीय विधायकों की भी अग्निपरीक्षा हो रही है।
जनपद में ब्लाक प्रमुखी की चारों सीटों पर भाजपा के साथ क्षेत्रीय विधायकों की भी अग्निपरीक्षा हो रही है। सदर विधायक हरीशंकर विधायक की हाथरस व सासनी सीट पर व सिकंदराराऊ और हसायन सीट पर भी भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह राणा की प्रतिष्ठा जुड़ी है।
हाथरस, जनपद में ब्लाक प्रमुखी की चारों सीटों पर भाजपा के साथ क्षेत्रीय विधायकों की भी अग्निपरीक्षा हो रही है। सदर विधायक हरीशंकर विधायक की हाथरस व सासनी सीट पर व सिकंदराराऊ और हसायन सीट पर भी भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह राणा की प्रतिष्ठा जुड़ी है। दोनों विधायकों के क्षेत्र में दो-दो सीटें आ रही हैं। सासनी में तो सदर विधायक की पुत्र वधू प्रतिभा कमल माहौर ही खुद प्रत्याशी हैं।
तीन सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन
सात ब्लाक में तीन सीटों पर प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। इसमें सादाबाद से डा. रीना चौधरी व सहपऊ से रामकिशन निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। डा. रीना चौधरी सपा व रालोद समर्थित हैं जबकि रामकिशन निर्दलीय जीते हैं। वहीं मुरसान ब्लाक से रामेश्वर उपाध्याय निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। वे भाजपा समर्थित हैं तथा सादाबाद के विधायक रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई हैं। शुक्रवार को नाम वापस के दिन पर्चा वापस न होने पर सिकंदराराऊ, हसायन, हाथरस व सासनी की सीट पर शनिवार को मतदान चल रहा है। हाथरस और सासनी सीट पर बागियों से भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती मिल रही है।
क्रास वोटिंग का खतरा
भाजपा ने सात ब्लाक प्रमुख की सीटों पर पहले से पांच समर्थित प्रत्याशी उतारे हैं। इसमें से एक पर भी भाजपा निर्विरोध काबिज हो पाई है। चार में दो-दो सीटें दोनों भाजपा विधायकों के क्षेत्र में आती हैं। इस वजह से इन विधायकों की प्रतिष्ठा जुड़ना लाजमी है। हालांकि इस चुनाव में जनता के वोट नहीं है। बीडीसी ही मतदाता है। उनके अपने पक्ष में कितना किया गया है और क्रास वोटिंग को कितना रोक पाने में सफल होंगे। यह बात दोपहर तीन बजे के बाद स्पष्ट हो जाएगी। राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि चारों सीटों पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर मिल रही है। एक वोट-एक वोट की कीमत को देखते हुए देर रात तक मान-मनोव्वल का दौर चला। शर्तें भी रखी गईं। हाईकमान के निर्देश पर पार्टी के पदाधिकारी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन गुटबाजी और क्रास वोटिंग की संभावना के कारण राह में कई कांटे नजर आ रहे हैं