गया में सशक्‍त हुई आवाम, श्रमदान से पइन की सफाई कर रहे किसान; 50 बीघा खेत में उपजाएगें धान

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RGA न्यूज़

पइन की सफाई कर खेतों तक पानी पहुंचा रहे किसान।

कई पुस्त से चली आ रही परम्परा नक्सल क्षेत्र इमामगंज के पकरी गांव में आज भी बरकरार है। अषाढ आते ही गांव वाले पइन सफाई करने की योजना बनाने लगते। गांववालों की एक बैठक बुलाया जाता। 50 बीघा में धान की फसल किसान उपजाएगें।

मानपुर (गया)। कई पुस्त से चली आ रही परम्परा नक्सल क्षेत्र इमामगंज के पकरी गांव में आज भी बरकरार है। अषाढ आते ही गांव वाले पइन सफाई करने की योजना बनाने लगते। गांववालों की एक बैठक बुलाया जाता। जहां श्रमदान से पइन सफाई करने की नियमावली बनाई जाती। उसके बाद किसान गईंता कुदाल से पइन की सफाई करना शुरु कर देते। उक्त पइन से 50 बीघा में धान की फसल किसान उपजाएगें।

सौ साल पूर्व खोदी गई थी पइन

दस दशक पूर्व इमामगंज पुल के समीप मोरहर नदी से पकरी गांव तक करीब सात किमी लंबी पइन की खोदाई श्रमदान से की गई थी। उसके बाद सरकारी पहल भी हुई। नदी में कुरुर के सहारे बांध बांधकर पानी को पइन के सहारे किसानों के खेत तक जाता।  जिससे सैकडो़ं एकड़ भूमि सिंचित होते हैं। उसी पइन की पानी से पकरी गांव के 50 बीघा भूमि भी सिंचित होती है। यहां के किसान गांव से लेकर दीघासीन पुल तक करीब एक किमी पइन की सफाई प्रत्येक साल करते हैं।

सरकारी से नहीं होती पइन की सफाई

खेत में लगे फसल को सिंचित करने के लिए किसानों को खुद पइन की सफाई करना पड़ता। ग्रामिणों का कहना है कि पकरी -विश्रामपुर पइन की सफाई सरकारी पहल से अभी तक दो तीन बार की गई है। जबकि उक्त पइन की सफाई प्रत्येक साल करने पड़ते हैं। इस बषॅ सरकारी पहल से सफाई करने के लिए पइन की नापी की गई। उसके बाद किसानों को लगा कि इस वषॅ हमलोगों को पइन की सफाई श्रमदान से नहीं करना पड़ेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

क्या कहते हैं किसान

रविन्द्र प्रसाद, महेन्द्र प्रसाद, प्यारे लाल गुप्ता, कन्हाई प्रसाद, दिनेश कुमार आदि किसानों का कहना है कि हमलोगों के पास कम भूमि है। अगर उक्त भूमि में धान का फसल बेहतर नहीं हुआ तो हमलोग सालों भर क्या खाएगे। कम बारिश होने पर नदी की पानी पइन के सहारे खेत तक लाकर धान लगे फसल को सिंचित करते हैं। उसके बाद धान की उपज होने की गारंटी रहती है।

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