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RGA न्यूज़
जश्न को फीका करने वाले निर्दलीयों ने इस चुनाव में भी पीछा नहीं छोड़ा।
ब्लाक प्रमुख चुनाव में कदम रखने वाली भाजपा का आत्मविश्वास सातवें आसमा पर था। नौ ब्लाक में निर्विरोध प्रत्याशी जिताकर ये साबित भी कर दिया। जश्न को फीका करने वाले निर्दलीयों ने इस चुनाव में भी पीछा नहीं छोड़
अलीगढ़, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में शानदार जीत के बाद ब्लाक प्रमुख चुनाव में कदम रखने वाली भाजपा का आत्मविश्वास सातवें आसमा पर था। नौ ब्लाक में निर्विरोध प्रत्याशी जिताकर ये साबित भी कर दिया। जश्न को फीका करने वाले निर्दलीयों ने इस चुनाव में भी पीछा नहीं छोड़ा। गंगीरी ब्लाक पर सहमति न बनने पर प्रशासन ने शनिवार को चुनाव कराया। भाजपा प्रत्याशी राकेश से निर्दलीय प्रत्याशी वीरवती का मुकाबला हुआ। जिसमें वीरवती ने भाजपा के सारे अमरमानों पर पानी फेर दिया। विपक्ष भी वीरवती के साथ खड़ा नजर आ रहा है। दावा तो यहां तक रहे हैं कि अगर सभी सीटों पर चुनाव होता तो असलियत तो तब पता चलती है। भाजपा ने जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में सत्ता का भी दम दिखाया है। बहराल भाजपा के लिए ये स्वर्णिम समय है जिसमें उसने जिला पंचायत अध्यक्ष के अलावा इतनी संख्या में ब्लाक प्रमुख जिताए।
जीत के बाद सपा का दावा
राजनीति भी अजीब है। कब क्या-क्या रंग देखने को मिल जाएं कुछ नहीं पता? गंगीरी ब्लाक प्रमुख के लिए हुए च़ुनाव में यही देखने को मिला। भाजपा को हराने वाली वीरवती ने जब पर्चा दाखिल किया था तो सपा ने कोई दावा नहीं किया था। सपा को एक भी नेता उनके साथ पर्चा दाखिल कराने नहीं गया। वीरवती की जीत सूचना मिलते ही सपाइ पहुंच गए और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। अपना प्रत्याशी होने का दावा भी करने लगे। राजनीति में ये कोई नहीं बात नहीं है। ऐसा होता भी है। वैसे जिला पंचायत और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में अन्य दलों की तुलना में सपा ने ही दम दिखाया। ब्लाक प्रमुख के चुनाव में दो प्रत्याशी भी उतारे थे लेकिन आखिरी समय में वो भाजपा के पाले में चले गए। सपा को इससे बड़ा झटका लगा। पार्टी को इन सबसे भविष्य के लिए सीख भी लेनी होगी।
ब्लाक अध्यक्ष ही नहीं मिल रहे
हर चुनाव में मात खाने वाली कांग्रेस के लिए पंचायत चुनाव और ब्लाक प्रमुख चुनाव भी ऐसे ही रहे। दोनों ही चुनाव में पार्टी विजय पताखा नहीं फहरा सकी। न तो पंचायत चुनाव में एक सदस्य जीता और न ब्लाक प्रमुख के में । जबिक पार्टी ने दावा किया था कि ब्लाक प्रमुख चुनाव में आठ-नौ सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पार्टी एक भी प्रत्याशी खड़ा नहीं कर पाई। चुनाव से पहले हुए फेरबदल का असर भी देखने को मिला। सबसे बड़ी दिक्कत तो ये भी आई कि सभी ब्लाकों पर ब्लाक प्रमुख ही खोजे नही मिले। इसके पीछे तर्क ये भी आया कि पूर्व के नेताजी ने ब्लाक प्रमुख की लिस्ट तो तैयार कर ली लेकिन वो पार्टी में है या नहीं इस बारे में ध्यान नहीं दिया। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए संदेश ठीक नहीं गया। क्योंकि, बिना लड़े किसी चुनाव को नहीं हारना चाहिए।
संभलकर तो रहना होगा
अच्छी बात है कि अपने जिले में चार दिन से एक भी कोरोना का नया केस नहीं मिला है। कोरोना से जंग के लिए इसे अहम कदम माना जा रहा है। ये ठीक भी है। कोरेाना ने जिस तरह लोगों की जान ली उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। केस न निकलने पर इसका मतलब ये कतई नहीं कि कोरोना से जंग जीत ली है। ये अदृश्य वायरस रंग बदलने में माहिर है। एक साल में कई तरह के रूप इसके देखे जा चुके हैं। इस लिए और भी सावधान रहने की जरूरत है। घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। शारीरिक दूरी के नियम को कतई न भूलें। कोरोना वैक्सीन जरूर लगवाएं। कोरोना को हराने के लिए ये सब सबसे महत्वपूर्ण हैं। जिला प्रशासन जिस तरह से लगातार सैंपलिंग करा रहा है, वो भी अहम रणनीति है। अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों पर और नजर रखने की जरूरत है।