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अजनबी के लिए दरवाजे नहीं खोलते थे रेखा और बच्चे। घर से बच्चों की आवाज न आने और रात तक पसरे सन्नाटा देख हुआ था शक। जन्म देने के बाद ही मर गई थी रेखा की मां बाबा और दादी ने था पाला
कूंचा साधुराम में महिला और बच्चों की हत्या के बाद मौके पर पहुंची पुलिस।
आगरा,। कूचा साधूराम की चाैबेजी वाली गली में रहने वाली रेखा और तीनों बच्चे किसी अजनबी के लिए दरवाजे नहीं खोलते थे। ऐसे में बुधवार की दोपहर 12 बजे से रात 11 बजे तक रेखा के घर का दरवाजा खुला देख गली के लोगों को शक हुआ था। बच्चों की आवाज सुनाई न देने पर लोगों को रात में ही अनहोनी की आशंका हो गई थी। मगर, रेखा किसी को अपने घर पर नहीं बुलाती थीं। इसलिए लोगों का साहस घर पर जाने का नहीं हुआ। गुरुवार की सुबह नौ बजे भी जब दरवाजे खुले दिखे तो लोग एकत्रित होकर फुलट्टी चौकी पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस को जानकारी दी।
चौबेजी की गली के जिस मकान में रेखा राठौर अपने तीन बच्चों वंश (12 साल), माही (10 साल) और पारस (8 साल) के साथ रहती थीं।सुनील ने सात साल पहले यह मकान एक सर्राफ से खरीदा था। मकान रेखा के नाम था। दो साल पहले पति से तलाक लेने के बाद रेखा और तीनों बच्चे यहां रह रहे थे। गली के लोगों ने बताया कि रेखा और उनके बच्चे अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते थे।रेखा बाजार जाते समय भी घर पर बाहर से ताला लगाकर जाती थीं। यदि कोई घर पर मिलने आता तो रेखा और बच्चे पहली मंजिल पर स्थित कमरे की खिड़की से देखने के बाद ही आने वाले के लिए दरवाजा खोलते थे।
बुधवार की दोपहर 12 बजे लोगों ने रेखा के घर का दरवाजा खुला देखा तो ध्यान नहीं दिया। मगर, रात 11 बजे तक दरवाजा खुला रहा तो लोगों काे मामला गड़बड़ लगा। लोगों का कहना था कि तीनों बच्चो को भी रोज की तरह खिड़की पर नहीं देखा गया। वह शाम को भी गली में नहीं आए तो लोगों को अनहोनी की आशंका सताने लगी। मगर, उनकी हिम्मत घर के अंदर जाकर देखने की नहीं हुई थी।गुरुवार की दोपहर गली में रहने वाली महिलाओं ने परिवार के लोगों से पुलिस के पास जाकर इसकी जानकारी देने की कहा। इसके बाद लाेग एकत्रित होकर चौकी पर पहुंचे।