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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने थोक बड़े व्यापारियों को स्टाक छूट का तीन गुना तक लिमिट का दायरा बढ़ाया। महावीरगंज खाद्यान व्यापार मंडल ने इसे व्यापारी एक जुटता की बड़ी जीत बताया है। साथ ही इससे अफसर शाही व भ्रष्टाचार के बढ़ावा पर शिकंजा रहे
थोक बड़े व्यापारियों को स्टाक छूट का तीन गुना तक लिमिट का दायरा बढ़ाया।
अलीगढ़,। केंद्र सरकार का दालों पर लगाई गई स्टाक लिमिट को लेकर 19 दिन बाद ही यू टर्न हुआ है। इसके लिए अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल व इससे संबद्ध फेडरेशन आफ आल इंडिया फूड ग्रेन एसोसिएशन ने 16 जुलाई को देश व्यापी हड़ताल की थी। दाल-दलहन मंडियों में गल्ला कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान के शटर डाउन कर प्रदर्शन किया था। इसके बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने थोक बड़े व्यापारियों को स्टाक छूट का तीन गुना तक लिमिट का दायरा बढ़ाया। महावीरगंज खाद्यान व्यापार मंडल ने इसे व्यापारी एक जुटता की बड़ी जीत बताया है। साथ ही इससे अफसर शाही व भ्रष्टाचार के बढ़ावा पर शिकंजा रहेगा।
यह है सरकार की नीति
केंद्र सरकार ने दो जुलाई को दालों पर स्टाक लिमिट तय की थी। जिसके तहत थोक दाल की एक ही किस्म के लिए 100 मैट्रिक टन की लिमिट दाल कारोबारी के लिए तय की गई थी। विभिन्न प्रकार की कुल दाल रखने की लिमिट 200 मैट्रिक टन थी। खुदरा विक्रेता के लिए यह लिमिट पांच मैट्रिक टन थी। दाल-दलहन कारोबारियों के अनुसार सरकार के इस निर्णय से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलना तय था। आपूर्ति विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों को अफसर स्टाक जांचने के नाम पर कारोबारियों के गोदामों को खगालने की खुलकर छूट मिलती।
इसके विरोध में अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेद प्रकाश जैन व राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा ने 16 जुलाई को देश व्यापी हड़ताल का निर्णय लिया। व्यापारियों ने दाल दलहन व अनाज मंडियों को बंद कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया। सरकार ने इन संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया। 19 जुलाई को केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनुपम मिश्रा ने स्टाक लिमिट 200 की जगह 500 मैट्रिक टन कर दी। शर्त भी रखी कि किसी एक किस्म की मात्रा 200 मैट्रिक टन से अधिक नहीं होनी चाहिए। खुदरा विक्रेता पांच मैट्रिक टन रख सकते हैं। मिलर स्वामी की सीमा पिछले छह माह के उत्पादन अथवा सालाना क्षमता 50 फीसद से अधिक हो। सरकार की ओर से 30 दिन का समय दिया गया है। अगर स्टाक अधिक है, उसे वे बाजार में उतार सकते हैं
व्यापारी संगठनों के दवाब में आ कर सरकार ने यू टर्न लिया है। लिमिट तय होने से बड़े कारोबारियों को भारी नुकसान होने जा रहा था। उन्होंने मंहगे रेट में दाल की खरीद की है। जब स्टाक की सीमा तय हो गई, तो बाजार में माल निकलना स्वाभाविक था। इससे बाजार में आपूर्ति अधिक व मांग कम होने से रेट धरातल