![harshita's picture harshita's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-2585-1622647100.jpg?itok=uOzLfLx7)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/24_07_2021-24_ambulence_21859384_713414.jpg)
RGA न्यूज़
उपचार के नाम पर कथित ट्रामा सेंटर में चल रहे ड्रामा में संचालक व स्टाफ ही शामिल नहीं है बल्कि एंबुलेंस माफिया की भी गहरी पैठ है। शहर से लेकर देहात तक बिना मानक के ही हास्पिटल के अंदर फर्जी ट्रामा सेंटर संचालित ह
बिना मानक के ही हास्पिटल के अंदर फर्जी ट्रामा सेंटर संचालित हैं।
अलीगढ़। उपचार के नाम पर कथित ट्रामा सेंटर में चल रहे ड्रामा में संचालक व स्टाफ ही शामिल नहीं है, बल्कि एंबुलेंस माफिया की भी गहरी पैठ है। शहर से लेकर देहात तक बिना मानक के ही हास्पिटल के अंदर फर्जी ट्रामा सेंटर संचालित हैं। इनके संचालकों ने एंबुलेंस माफिया से भी साठगांठ कर रखी है, जिसमें सरकारी अस्पतालों से रेफर या अन्य स्थानों से लाए गए घायल मरीजों की खरीद-फरोख्त होती है। ट्रामा सेंटर और एंबुलेंस चालक के बीच प्रति मरीज पांच से सात हजार या इससे ज्यादा रुपये में सौदा होता है। जबकि, उपचार के नाम पर केवल लूट होती है। हैरानी का बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग ने किसी ट्रामा सेंटर को चलाने की अनुमति नहीं दी है, फिर भी हर मार्ग पर ट्रामा सेंटरों की बाढ़ से आ गई है। । दैनिक जागरण ने ट्रामा सेंटर के नाम पर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ और लूट को उजागर करने के लिए ‘ट्रामा का ड्रामा’ अभियान शुरू किया है। पेश है इसकी तीसरी किस्त..
ऐसे होती है लूट
दिन-शुक्रवार, समय-दोपहर करीब एक बजे। दृश्य-अकराबाद की ओर से सायरन बजाती हुई एंबुलेंस तेजी के साथ धनीपुर मंडी के पास स्थित कथित ट्रामा सेंटर पर आकर रुकती है। रिसेप्शन पर बैठे लड़के, पौछा लगाती स्वीपर अलर्ट हो जाते हैं। तुरंत ही सभी स्ट्रेचर को एंबुलेंस के पीछे वाले हस्से की तरफ लेकर पहुंचते हैं। एंबुलेंस में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल युवक अचेत पड़ा हुआ था। कर्मचारी तुरंत ही उसे स्ट्रेचर पर लेकर अंदर ओटी की तरफ दौड़ पड़ते हैं। इसके बाद ओटी का दरवाजा बंद हो जाता है। इस आपाधापी के बीच एंबुलेंस का चालक पैसा जमा करने वाले काउंटर पर पहंचकर कुछ इशारा करता है। तुरंत ही उसके हाथ में 500-500 के 10-12 नोट थमा दिए जाते हैं। जागरण टीम ने एक तीमारदार को रोका। केपी सिंह नामक तीमारदार ने बताया कि वह कासगंज के अमनपुर ब्लाक से आए हैं। मेरे चाचा के लड़का बाइक पर था, कार से टक्कर हो गई। सिर में गंभीर चोट है। मेडिकल कालेज जाना चाहते थे, लेकिन चालक ने बताया कि वहां देखभाल नहीं होगी, सिफारिश के बिना कुछ नहीं। मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत है? और वह यहां ले आया। देखते हैं कैसा इलाज मिलता है? तभी चालक वहां आया और केपी सिंह से किराए के तीन हजार रुपये लेकर जेब में ढूंस लिए। फिर, बिना रुके ही तेजी से एंबुलेंस लेकर निकल गया।
हर मार्ग पर ट्रामा सेंटर
शहर की बात करें तो धनीपुर क्षेत्र में सबसे ज्यादा ट्रामा सेंटर हैं। इनमें शिव महिमा हास्पिटल (फ्रैक्चर एंड ट्रामा सेंटर), आराध्या ट्रामा सेंटर एंड मल्टी स्पेशलिटी, लोटस हास्पिटल मल्टीस्पेशलिटी एंड ट्रामा सेंटर, देव वासु हास्पिटल मल्टीस्पेशलिटी एंड ट्रामा सेंटर, न्यू चित्रगुप्त हास्पिटल एंड ट्रामा क्रिटिकल सेटर, मेधा हास्पिटल (मल्टी स्पेशलिटी) ट्रामा सेंटर एंड मेटरनिटी होम प्रमुख रूप से शामिल हैं। अनूपशहर रोड पर केआई हास्पिटल आइसीयू गाइनी ट्रामा, एनबी हास्पिटल एंड ट्रामा, एटा चुंगी से कयामपुर मोड़ पर लक्ष्य हास्पिटल ट्रामा एंड क्रिटिकल केयर, अपैक्स हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, हार्दिक हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर स
खैर रोड, सारसौल से दिल्ली रोड व अन्य मार्गों पर ट्रामा सेंटर संचालित हैं। यह जांच का विषय है कि कहां पर मानकों का कितना पालन हो रहा है। बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग एक-दो ट्रामा सेंटरों को छोड़कर किसी को भी अनुमति की बात से साफ इन्कार कर रहा है। क्वार्सी चौराहा स्थित वरुण ट्रामा एंड बर्न सेंटर के संचालक डा. संजय भार्गव का कहना है हमने 2011 में ही ट्रामा सेंटर का पंजीकरण करा लिया
मेडिकल कालेज में भी रैकेट
एंबुलेंस माफिया की दबदबा हर जगह है। मेडिकल कालेज में बाकायदा इसका रैकेट चल रहा है। कई बार इसे लेकर विवाद भी हुआ है। यदि से हायर सेंटर या घर जाने वाले मरीज को दबंग चालक जबरन एंबुलेंस में ले लेते हैं। मनमाना किराया भी वसूलते हैं। कई बार तो जिस एंबुलेंस से मरीज मेडिकल कालेज लाया जाता है, उससे वापस नहीं जाने दिया जाता। बाहरी एंबुलेंस चालक को डरा-धमकाकर तुरंत ही भगा दिया जाता है। मेडिकल से हायर सेंटर रेफर किए गए मरीज को एंबुलेंस चालक गुमराह कर कमीशन के लालच में शहर के किसी फर्जी ट्रामा सेंटर पहुंचा देते हैं, जो उन्हें मौत के मुंह में झोंकने जैसा है।
सो रहा सरकारी तंत्र
फर्जी ट्रामा सेंटर हों या एंबुलेंस, कहीं मानकों का पालन कहीं। तमाम ट्रामा सेंटरों में विशेषज्ञ या ट्रेंड ओटी टेक्नीशियन तक नहीं। वहीं, एंबुलेंस की बात करें तो ज्यादातर मारूति वैन में ही संचालित हैं। जिनमें ट्रेंड स्टाफ व सुविधा न होने से न जाने से रोजाना न जाने कितने मरीजों की बत्ती गुल हो जाती है। ये लोग मरीजों को एक ट्रामा से दूसरे ट्रामा या हास्पिटल में घुमाते रहते हैं। चिंता की बात ये है कि ट्रामा सेंटर व एंबुलेंस माफिया की साठगांठ की तरफ से भी स्वास्थ्य विभाग ने चुप्पी साध रखी है। जिम्मेदार अफसरों ने न तो कभी ट्रामा सेंटरों में झांकने की कोशिश की और न एंबुलेंसों में।
आप भी भेजिए शिकायत
कथित ट्रामा व क्रिटिकल केयर सेंटरों में व्याप्त अव्यवस्था व लूट के शिकार आप भी हुए हो सकते हैं। यदि आपके साथ पूर्व में इन सेंटरों पर कोई अप्रिय घटना हुई हो या बुरा अनुभव रहा हो तो हमें ईमेल या वाट्सएप से जानकारी भेजें। हम आपकी आवाज अफसरों तक पहुंचाएंगे।