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कोविड की दूसरी लहर डुमरियागंज में खतरनाक रही। हर गांव से बड़े पैमाने पर संक्रमित मिलने लगे थे। प्रशासन ने युद्धस्तर पर सफाई व जागरूकता कार्यक्रम में जुटा था लेकिन लोग महामारी के खतरे से बेखबर थे। इस बीच बीडीओ डुमरियागंज सुशील कुमार अग्रहरि ने जिस सेवा भाव का परिचय दिया उसकी सराहना हर गांव में लोग कर रहे हैं।
संक्रमित होने के बाद भी कर्मचारियों को करते रहे प्रेरित
सिद्धार्थनगर : कोविड की दूसरी लहर डुमरियागंज में खतरनाक रही। हर गांव से बड़े पैमाने पर संक्रमित मिलने लगे थे। प्रशासन ने युद्धस्तर पर सफाई व जागरूकता कार्यक्रम में जुटा था, लेकिन लोग महामारी के खतरे से बेखबर थे। इस बीच बीडीओ डुमरियागंज सुशील कुमार अग्रहरि ने जिस सेवा भाव का परिचय दिया उसकी सराहना हर गांव में लोग कर रहे हैं। सरकार का आदेश था कि हर गांव में सफाई व सैनिटाइज्ड करने का काम पूरा किया जाए। महामारी के खौफ के कारण सफाईकर्मी गांव में जाने को तैयार नहीं थे। बीडीओ ने एडीओ पंचायत बृजेश गुप्ता, निगरानी समिति के लोगों के साथ सफाईकर्मियों की बैठक की। उन्हें आश्वस्त किया कि पूरी टीम आपके साथ है। जिसके बाद 2000 लीटर सैनिटाइजर का छिड़काव 115 ग्राम पंचायतों में हो सका। कुछ ऐसी भी ग्राम पंचायतें थी जहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी दवा छिड़काव के लिए मंगानी पड़ी। बीडीओ हर मोर्चे पर कर्मचारियों के साथ डटे रहे और गांव को सुरक्षित रखने का हर जतन करते रहे।
डुमरियागंज के बीडीओ ग्रामणों को सुरक्षित रखने की हर कोशिश में खुद संक्रमित हो गए। लेकिन सेवा का जज्बा ऐसा था कि बंद कमरे से निगरानी समिति के सदस्यों के साथ वर्चुअल संवाद और गांव में चल रहे सैनिटाइजेशन व सफाई की निगरानी करते रहे। होम आइसोलेशन पूरा करने के बाद दोबारा पूरी मुस्तैदी के साथ गांव के सफाई व टीकाकरण जागरूकता कार्यक्रम में जुटे। कोविड नियमों का पालन ग्रामीण करें, टीकाकरण कराएं और सफाई रखें इसके लिए उन्होंने 300 से अधिक बैठक गांव के लोगों के साथ की। पंचायत चुनाव में इसी जागरूकता के बल पर उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाने में सफलता हासिल की जिससे लोग संक्रमण के दायरे में न आने पाएं। कोविड गाइडलाइन का पालन कराते हुए 20 हजार मनरेगा मजदूरों को, स्वयं सहायता समूहों से मास्क खरीद कर बांटे। कहते हैं कि जब संक्रमित हुआ तो ऐसा लगा कि अब तो सब कुछ रोकना पड़ेगा, लेकिन अलग कमरे में रहकर कर्मचारियों से वर्चुअल संवाद करता रहा जिसकी वजह से 115 गांव के लोगों ने टीका लगवाया जो अब खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।