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RGA न्यूज़
केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत गरीबों के मुफ्त इलाज की गारंटी ली है। इसमें गंभीर बीमारियों पर आने वाला खर्च सरकार स्वयं वहन कर रही है। बशर्ते लाभार्थी के पास गोल्डन कार्ड होना चाहिए।
गोल्डन कार्ड बन जाएं तो इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
अलीगढ़, केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत गरीबों के मुफ्त इलाज की गारंटी ली है। इसमें गंभीर बीमारियों पर आने वाला खर्च सरकार स्वयं वहन कर रही है। बशर्ते लाभार्थी के पास गोल्डन कार्ड होना चाहिए। यहीं पर पेंच फंसा है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग तीन साल बाद भी जनपद में चिह्नित किए गए परिवारों के गोल्डन कार्ड नहीं बना पाया है। अब भी करीब नौ लाख गरीबों को ‘आयुष्मान’ होने का इंतजार है। यदि इनके गोल्डन कार्ड बन जाएं तो इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
जनपद में कुल 2.42 लाख लाभार्थी परिवार
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 25 सितंबर 2018 को जनपद में शुरू हुई थी। योजना के अंतर्गत गरीब परिवार को सूचीबद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का प्राविधान किया गया। लाभार्थियों का चयन आर्थिक व सामाजिक गणना-2011 की सूची के आधार पर किया गया है। इसमें पूर्व में एक लाख 48 हजार 436 ग्रामीण व 84 हजार 77 शहरी लाभार्थियों को चयनित किया गया। बाद में वंचित लोगों के लिए आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत भी 9818 गरीबों का चयन किया गया। इस तरह जनपद में कुल 2.42 लाख लाभार्थी परिवार हैं।
22 फीसद को ही गोल्डन कार्ड
एक परिवार में पांच सदस्यों का औसत मानें तो जनपद के करीब 12 लाख लाभार्थी इस योजना के दायरे में आ चुके हैं, लेकिन अभी मात्र 2.64 लाख ( 22 फीसद) लाभार्थियों के ही गोल्ड कार्ड बने हैं। यानि, 78 फीसद लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बन पाए हैं। जबकि, योजना का लाभ पाने के लिए लाभार्थी के पास गोल्डन कार्ड अनिवार्य है। ऐसे भी हजारों परिवार हैं, जिनके किसी सदस्य का गोल्डन कार्ड नहीं बना है। पिछले दिनों आयुष्मान पखवाड़ा में ऐसे 17 हजार 89 लाभार्थियों के गोल्डन बनाए गए। इससे पूर्व भी ऐसी कवायदें हुईं। हालांकि, कोरोना संकट काल से कार्य बाधित रहा, लेकिन उससे पूर्व भी गोल्डन कार्ड बनाने का कार्य बेहद धीमा रहा।
जिन लाभार्थियों ने अभी तक गोल्डन कार्ड नहीं बनवाया है, वह संबंधित अस्पतालों व कामन सर्विस सेटरों पर जाकर बनवा सकते हैं। यदि कोई संचालक गोल्डन कार्ड नहीं बनाता तो कार्रवाई की जाएगी।