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आगरा में अलग अलग लोगों के पैन और आधार कार्ड लेकर बनाई गईं कई फर्जी कंपनियां। महज छह महीने में रचते हैं बिना टैक्स दिए आइटीसी लेने का चक्रव्यूह। कुछ फर्म स्थानीय तो कुछ बाहरी राज्यों के पतों पर होती हैं दर्ज।
बहाने से लोगों के जरूरी दस्तावेज लेकर फर्जी कंपनियां बनाई जा रही हैं।
आगरा, करीब 100 फर्जी फर्म बनाकर 184.56 करोड़ के फेक इनवाइस, बिल और ई-वे बिल जारी करके 32.56 करोड़ की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) क्लेम और टैक्स चोरी का खेल कोई नया नहीं है। जीएसटी कानून लागू होने साथ ही ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बिना टैक्स दिए आइटीसी के बंदरबांट का सारा चक्रव्यूह महज छह महीने में रचा जाता है।
कलाकार स्थानीय स्तर के साथ गैर राज्यों के पतों पर फर्जी फर्में खोलकर पूरा मकड़जाल बुनते हैं। महज छह महीने में इतने फर्जी इनवाइस, बिल और ई-वे बिल जारी करते हैं कि बिना टैक्स दिए जीएसटी पोर्टल के आनलाइन सिस्टम में मोटी आइटीसी दिखाई देने लगे। आनलाइन सिस्टम से वह आइटीसी क्लेम करते हैं और फर्म बंद कर देते हैं। जीएसटी विभाग की इंटेलीजेंस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के जरिए जब तक शातिरों की चालें समझती हैं, तब तक वह फर्में बंद कर या तो अंडर ग्राउंड हो जाते हैं या नया चक्रव्यूह रचने में जुट जाते हैं।
यह है खामी
शातिरों को ऐसा फर्जीवाड़ा करने की हिम्मत जीएसटी कानून के फर्म पंजीयन की आसान प्रक्रिया से मिलती है। सीए सौरभ अग्रवाल बताते हैं कि व्यवसायियों की सहूलियत के लिए जीएसटी कानून में फर्म पंजीयन में भौतिक सत्यापन अनिवार्य नहीं। सिर्फ आधार न होने पर ही भौतिक सत्यापन आवश्यक है। लगातार छह महीने तक रिटर्न न भरने पर ही फर्म पंजीयन निरस्त होता है। शातिर इसका ही फायदा उठाते हैं। इन्हीं छह महीनों में करोड़ों का फर्जी खरीद-बिक्री दिखाकर आइटीसी क्लेम कर लेते हैं और टैक्स देनदारी बनते ही फर्म बंद कर फरार हो जाते हैं।
वैट में संभव नहीं थी सेंधम
एड. मनोज शर्मा बताते हैं कि जीएसटी से पहले लागू वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) में ऐसे फर्जीवाड़े संभव नहीं थे क्योंकि वैट में पंजीकरण के लिए विभाग में जाकर फोटो खींचानी पड़ती थी, व्यापार स्थल के भौतिक सत्यापन के बाद ही पंजीकरण मान्य होता था। फर्म संचालक की जानकारी पहले सत्यापित होती थी, लेकिन जीएसटी में घर बैठे आनलाइन पंजीकरण होता है।
ऐसे करें बचाव
सीए प्रेम गुल बताते हैं कि सरकार ने लोगों को महीने भर पहले एक नई सुविधा दी है। वह जीएसटी पोर्टल पर दिए लिंक में अपना पैनकार्ड नंबर डालकर उसके दुरुपयोग की स्थिति पता लगा सकते हैं कि कहीं उनकी जानकारी के बिना उनके पैन नंबर पर कोई कंपनी तो नहीं चल रही। इसके लिए जीएसटी डाट जीओवी डाट इन पर सर्च पैन का लिंक दिया गया है। ऐसा होने पर वहीं आनलाइन शिकायत भी की जा सकती है।