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विश्वभर में अपनी सुंदरता के लिए चॢचत अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीनपार्क वर्तमान में शहर के सबसे बड़े व प्रमुख वैक्सीनेशन सेंटर के रूप में पहचाना जा रहा है। सेंटर पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इसमें युवाओं के साथ वरिष्ठजन अभिभावक व दिव्यांगजन आ रहे हैं।
जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने शहरवासियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था
कानपुर, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीनपार्क के मेगा सेंटर पर इन दिनों अव्यवस्था का माहौल देखने को मिल रहा है। गंदगी व दुर्गंध भरे वातावरण में शहरवासी वैक्सीन लगवाने को मजबूर हैं। सेंटर पर गंदगी युक्त वातावरण वैक्सीनेशन के साथ स्टेडियम की छवि की धूमिल कर रहा है, जबकि मेगा सेंटर की शुरुआत के समय स्टेडियम की सुंदरता और व्यवस्था का हवाला देकर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने शहरवासियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था।
विश्वभर में अपनी सुंदरता के लिए चॢचत अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीनपार्क वर्तमान में शहर के सबसे बड़े व प्रमुख वैक्सीनेशन सेंटर के रूप में पहचाना जा रहा है। सेंटर पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इसमें युवाओं के साथ वरिष्ठजन, अभिभावक व दिव्यांगजन आ रहे हैं। कुछ दिनों जिला प्रशासन से लेकर मंत्रियों का आना जारी रहा। जिसके कारण स्टेडियम में हर व्यवस्था को चाक चौबंद रखा गया था। जो इन दिनों अव्यवस्था के फेर में फंसी हुई है।
सेंटर पर पीने के पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है, जबकि औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने हर रजिस्ट्रेशन वाले व्यक्ति को पानी की बोतल मुहैया कराने का वादा किया था। इसके साथ ही महिला व पुरुषों के लिए बने शौचालय गंदगी से पटे हुए हैं। डायरेक्टर व वीआइपी पवेलियन में चल रहे बूथ सेंटर पर पानी पान-मसाला की पिक दुर्दशा की कहानी स्वयं बयां कर रही है। बारिश के कारण ज्यादातर बूथों पर पानी भरा हुआ है, जिसकी दुर्गंध के कारण आर्ब्जवेशन रूप में बैठ पाना मुश्किल है। कानपुर स्काउट गाइड के सहायक आयुक्त व सह प्रभारी सर्वेश तिवारी ने बताया कि सेंटर पर जगह-जगह गंदगी व बदबूदार पानी भरा है। बाथरूम में भी पिछले कई दिनों से सफाई नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि सेंटर पर कार्यरत स्काउट गाइड के बच्चों को पानी व नाश्ता तक नहीं मुहैया कराया जा रहा है। चंद स्काउट गाइड व पीआरडी जवानों के भरोसे मेगा सेंटर पर वैक्सीनेशन चल रहा है। हालात यहां तक हैं कि स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को भी हर दिन बिना बिजली व पीने के पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है