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टोक्यो पैरालिंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अवनि लेखरा ने पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। 11 साल की उम्र में हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट जाने के बाद अवनि का यह सफर आसान नहीं था
टोक्यो पैरालंपिक की स्वर्ण परी अवनि के हुनर को चंद्रशेखर ने निखारा, बोले- अब जाकर सफर हुई मेहनत
बरेली, टोक्यो पैरालिंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अवनि लेखरा ने पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। 11 साल की उम्र में हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट जाने के बाद अवनि का यह सफर आसान नहीं था, लेकिन बदायूं के चंद्रशेखर ने उसके हुनर काे तराश कर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में शामिल कराकर यह मुकाम दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें उम्मीद है कि अवनि अभी और पदक हासिल कर सकती हैं, वह चार प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा ले रही हैं
दातागंज तहसील क्षेत्र के अंधरऊ गांव के मूल निवासी चंद्रशेखर का बचपन बदायूं के टिकटगंज मुहल्ले में गुजरा। इनके पिता स्व.महेंद्र सक्सेना लोकतंत्र सेनानी थे। निशानेबाजी का शौक रहा इसलिए इसको कॅॅरियर बनाया और जयपुर, राजस्थान जाकर रहने लगे। पांच साल पहले 2016 में जब अवनि को प्रशिक्षण देना शुरू किया तो शुरूआती दौर में बहुत दिक्कतें आईं। वजह, किशोरावस्था में रीढ़ की हड्डी टूट जाने से अवनि शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी असहज हो गई थी। वह बताते हैं कि उसके भीतर छिपे जज्बे को देखकर उन्होंने मेहनत शुरू कर दी।
धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ाया और शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण देना शुरू किया और समय के साथ उसकी निशानेबाजी निखरती गई। टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाइ किया तो उसके आत्मविश्वास को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास था कि मेहनत जरूर रंग लाएगी। 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में सटीक निशाना साधकर स्वर्ण पदक जीता तो मुझे लगा कि मेरी सफल हो गई। उन्होंने बताया कि अवनि अभी एक सितंबर को मिक्स्ड 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच वन, तीन सितंबर को 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच वन और पांच सितंबर को मिक्स्ड 50 मीटर राइफल प्रोन एसएच वन प्रतिस्पर्धा में भी हिस्सा लेंगी।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि अवनि लेखरा टोक्यो पैरालंपिक में अभी और पदक जीत सकती हैं। बदायूं से जुड़ी स्मृतियां साझा करते हुए वह कहते हैं कि गांव जाकर लोगों से मिलते हैं, टिकटगंज में भी पुराने परिचितों से मुलाकात होती है। टोक्यो पैरालंपिक प्रतिस्पर्धा की तैयारी के कारण पिछले दो साल से घर नहीं आ सके हैं, जल्द ही लौटने के बाद बदायूं आएंगे, जिले के हुनरमंद खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे।