उमस भरी गर्मी में बिजली कटौती ने और रुलाया, प्रयागराज में पसीना पसीना होकर तड़प उठे लोग

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RGA न्यूज़

इधर तीन-चार दिन से तेज उमस के चलते लोग परेशान हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग कूलर व एसी का सहारा ले रहे हैं। इस वजह से बिजली की खपत काफी बढ़ गई है और फीडरों पर लोड भी बढ़ गया है। लाइन ट्रिप हो रही है

ट्रांसफार्मर ओवरलोड होने से ट्रिप होती रही लाइन, पैनल बाक्स में भी कई जगह आई गड़बड़ी

प्रयागराज, सितंबर के महीने में भी उमस भरी गर्मी से लोग हलाकान नजर आ रहे हैं। कूलर और पंखे भी राहत नहीं दे पा रहे हैं। इस बीच कई घंटे तक हो रही अघोषित बिजली कटौती ने भी लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बुधवार के बाद गुरूवार को भी रात तक शहर के आधा दर्जन मोहल्लों में बिजली दो-तीन घंटे गुल रही। शुक्रवार को भी बिजली कटौती से राहत नहीं मिली है। परेशान उपभोक्ताओं के समझ में नहीं आ रहा है कि वे शिकायत करें भी तो किससे। क्योंकि, कई बार शिकायत करने के बाद भी समस्या का कोई निदान नहीं हो रहा है।

बढ गया लोड और ट्रिप हो रही लाइन

इधर तीन-चार दिन से तेज उमस के चलते लोग परेशान हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग कूलर व एसी का सहारा ले रहे हैं। इस वजह से बिजली की खपत काफी बढ़ गई है और फीडरों पर लोड भी बढ़ गया है। ट्रांसफार्मरों पर लोड बढऩे के चलते लाइन ट्रिप हो रही है। पैनल बाक्स में भी गड़बड़ी आ रही है। साथ ही छोटे-छोटे और भी फाल्ट हो रहे हैं। इसी वजह से बुधवार रात पीपल गांव, नीवां, झलवा, कसारी-मसारी, नीमसराय, बलुआघाट, करैलाबाग आदि इलाकों में बिजली दो-तीन घंटे तक गुल रही। गुरुवार सुबह आजाद नगर, मलाकराज, मुट्ठीगंज, जानसेनगंज, सलोरी, रसूलाबाद इलाके में भी बिजली करीब दो घंटे गुल रही। दोपहर में आजाद नगर मोहल्ले में नए ट्रांसफार्मर को लगाने के लिए करीब चार घंटे तक आपूर्ति बंद की गई। जबकि चार दिन पहले ही यह ट्रांसफार्मर जला था और उस दिन दस घंटे बाद आपूर्ति बहाल हुई थी। लेकिन ट्राली ट्रांसफार्मर लगाकर। नया ट्रांसफार्मर उस दिन नहीं मिल सका था, जिस कारण विभाग को ट्राली ट्रांसफार्मर लगाने में दस घंटे का समय लग गया। फिलहाल उमस भरी गर्मी के बीच बिजली कटौती से लोग खासे परेशान हो रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में स्थिति खराब

शासन के आदेश के मुताबिक शहरी इलाके में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली देने का निर्देश है। लेकिन कहीं इसका पालन नहीं हो रहा है। शहर में तो कटौती हो ही रही है, ग्रामीण इलाकों में तो दशा बेहद खराब है। मौजूदा समय में धान की खेती के लिए सिंचाई की जरूरत है। लेकिन न तो नहरों में पानी है और न ही पर्याप्त बारिश हो रही है। ऐसे में ट््यूबवेल ही खेती का प्रमुख सहारा है। जबरदस्त तरीके से बिजली कटौती होने के कारण किसान खेतों की सिंचाई तक नहीं कर पा रहे हैं।

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