जानिए, भगवान कृष्ण के पौराणिक मंदिरों और उनके महात्म के बारे में

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Temples of Lord Krishna पुराणों में वर्णित कई प्राचीन स्थल और मंदिर ऐसे भी हैं जिनका संबंध सीधे तौर पर भगवान कृष्ण से रहा है। जन्माष्टमी के दिन इन मंदिरों में कृष्ण भक्तों की भीड़ लगी रहती है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

जानिए, भगवान कृष्ण के पौराणिक मंदिरों और उनके महात्म के बारे में

Temples of Lord Krishna: भगवान कृष्ण के भक्त और उनके मंदिर आज दुनिया के कोने-कोने में फैले हुए हैं। लेकिन पुराणों में वर्णित कई प्राचीन स्थल और मंदिर ऐसे भी हैं जिनका संबंध सीधे तौर पर भगवान कृष्ण से रहा है। जन्माष्टमी के दिन इन मंदिरों में कृष्ण भक्तों की भीड़ लगी रहती है। जन्माष्टमी के दिन इन मंदिरों में विशेष पूजन होता है और मान्यता है कि इस दिन भगवान के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े इन मंदिरों के बारे में....

1-मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर – पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म जिस स्थान पर हुआ वो जगह आज के उत्तर प्रदेश की मथुरा जनपद में स्थित है। भागवत पुराण के अनुसार कृष्ण जी का जन्म कंस के कारागार में हुआ था, उस स्थान पर आज मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर स्थापित है। जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों की भीड़ देखते बनती है।

2- गोकुल का मंदिर – भगवान कृष्ण का जन्म तो मथुरा में हुआ था। लेकिन उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना जैसी जगहों पर बीता था। मथुरा से गोकुल 15 किलोमीटर दूर है। यहां पर चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ जैसे मंदिर मौजूद हैं।

3- वृंदावन का मंदिर – मथुरा के पास वृंदावन का क्षेत्र है। यहां पर रमण रेती पर बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर है। भगवत पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण वृदांवन के क्षेत्र में गोप, गोपियों के साथ गाय चराते और बांसुरी की मधुर तान पर रास रचाते थे। यहीं पर प्रेम मंदिर और प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर भी स्थित है। बृज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत भी स्थित है, जिसे भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया 

4- द्वारिका का मंदिर – भागवत के अनुसार जरासंध के कारण श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर गुजरात के समुद्री तट पर स्थित कुशस्थली नगरी आ गए थे। यहां पर उन्होंने द्वारिका नामक नगर की स्थापना की थी, जिसका बड़ा हिस्सा आज भी समुद्र में डूबा हुआ है। गुजरात में श्री कृष्ण को द्वारकाधीश कहा जाता है। द्वारकाधीश मंदिर के अलावा गुजरात के दाकोर में रणछोड़राय मंदिर स्थित है।

5- श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल – भगवान कृष्ण का निर्वाण स्थल मंदिर गुजरात में प्रभास नामक क्षेत्र में स्थित है। कथा के अनुसार यहां पर यदुवंशियों ने आपस में ही लड़ाई की और अपने कुल का अंत कर दिया था। इसी स्थान के पास भगवान कृष्ण चिंता में लेटे थे कि एक बहेलिए ने उनके पीताम्बर को हिरण समझ कर बाण चला दिया था। पैर में लगे इसी बाण का बहाना बना कर भगवान कृष्ण ने इसी जगह पर अपने प्राण त्याग दिए थे।

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