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रामनगरी का पहला दीपोत्सव प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वर्ष 2017 में आयोजित किया गया। तत्समय नौ घाटों पर एक लाख 87 हजार 213 दीपक जले थे। हालांकि पहला दीपोत्सव गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज नहीं हो सका था।
दीपोत्सव में इस बार 30 घाटों पर जलेंगे सात लाख 51 हजार दीये।
अयोध्या, रामनगरी का पांचवां दीपोत्सव भव्यता के नए आयाम गढऩे वाला होगा। दीपोत्सव में इस बार 30 घाटों पर दीपक जलाए जाएंगे। दीपोत्सव की श्रृंखला का यह अब तक सबसे बड़ा मेगा इवेंट होगा। इस बार सात लाख 51 हजार दीयों को एक वक्त में जलाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसे डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय आवासीय परिसर, संबद्ध महाविद्यालय और स्वयंसेवी संस्थाओं के 12 हजार स्वयंसेवकों के योगदान से हासिल किया जाएगा। सात लाख 51 हजार दीयों को एक वक्त में जलाने के लिए करीब नौ लाख दीपक लगाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने पाए।
रामनगरी का पहला दीपोत्सव प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वर्ष 2017 में आयोजित किया गया। तत्समय नौ घाटों पर एक लाख 87 हजार 213 दीपक जले थे। हालांकि, पहला दीपोत्सव गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज नहीं हो सका था। यह कसक वर्ष 2018 में दूर हुई, जब 14 घाटों पर तीन लाख एक हजार 152 दीये जलाए गए। तत्समय पांच हजार स्वयंसेवकों के दम पर यह लक्ष्य हासिल किया गया था। यह दीपोत्सव का पहला वल्र्ड रिकार्ड भी था।
वर्ष 2019 में सात हजार स्वयंसेवकों ने 17 घाटों पर चार लाख चार हजार 26 दीये जलाए थे। वर्ष 2019 का दीपोत्सव भी गिनीज बुक में दर्ज हुआ। गत वर्ष कोरोना काल में भी दीपोत्सव की धमक दुनिया भर में महसूस हुई। पिछले साल 24 घाटों पर दस हजार स्वयंसेवकों ने छह लाख छह हजार 569 दीपक जलाकर गिनीज बुक में दीपोत्सव को दर्ज कराया, तो पांचवां दीपोत्सव अब तक का सबसे बड़ा इवेंट बनेगा। करीब 12 हजार स्वयंसेवक अब तक के सबसे बड़े लक्ष्य को हासिल करेंगे।
डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह की अगुवाई में इसकी तैयारियां आरंभ भी कर दी गयी हैं। विवि के नोडल अधिकारी व व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग के प्रो. शैलेंद्र वर्मा ने बताया कि गत वर्ष 35 स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों, 14 महाविद्यालयों व चार इंटर कॉलेजों के विद्यार्थियों ने बतौर स्वयंसेवक दीपोत्सव में प्रतिभाग किया था। इस बार लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और डिग्री कॉलेजों की प्रतिभागिता को और बढ़ाया जाएगा।