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RGA न्यूज़
हर व्यक्ति बेहतर सुविधाएं और इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में अपने मरीज को भर्ती कराता है। ऐसे में अगर इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाए तो निजी अस्पताल प्रबंधन बिना फीस के शव तक परिजनों को नहीं देते हैं
सुभाष नगर निवासी युवक ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की लिखित शिकायत
बरेली, हर व्यक्ति बेहतर सुविधाएं और इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में अपने मरीज को भर्ती कराता है। ऐसे में अगर इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाए तो निजी अस्पताल प्रबंधन बिना फीस के शव तक परिजनों को नहीं देते हैं। ऐसा ही एक मामला मंगलवार को उजागर हुआ जिसमें एक युवक ने फीस न देने पर मरीज का शव परिजनों काेे न सौंपने की लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
शहर के सुभाष नगर के राजीव कालोनी निवासी राज कुमार ने बताया कि उनके बड़े भाई राजकुमार की पत्नी ब्रह्मा की बीती 21 सितंबर को घर पर तबीयत बिगड़ी तो परिजनों से उसे शहर क्लैरा स्वैन मिशन हास्पिटल में एडमिट कराया। भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही 60 हजार रुपये जेवर बेचकर हास्पिटल में जमा कर दिए। इस दौरान कई बार परिजनों ने मरीज से मिलने की इच्छा जाहिर की लेकिन परिजनों को मरीज से मिलने नहीं दिया
मंगलवार को स्टाफ ने बताया कि ब्रह्मा की मौत हो गई है। इस पर स्वजन ने मरीज का शव मांगा तो प्रबंधन ने 1.13 लाख रुपये बकाया फीस जमा करने को कहा। स्वजन ने जेवर बेचकर पहले भी फीस जमा करने और अब इतनी रकम जमा करने की स्थिति आर्थिक स्थिति नहीं है कि इतनी बड़ी रकम जमा कर सके। आरोप है कि इस पर प्रबंधन ने शव देने से इन्कार कर दिया। हालांकि बाद में शव सौंप दिया गया।
तीमारदार से कुल 40 हजार रुपये ही लिए : वहीं, मिशन अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी हर्षुल यादव ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के दौरान 60 हजार रुपये जमा करने की बात पूरी तरह गलत है। 21 से 28 सितंबर तक भर्ती रहने के दौरान मरीज के तीमारदारों ने सिर्फ दवाई के ही बिल दिया, अस्पताल का नहीं। मरीज की मौत होने के बाद अस्पताल के चेयरमैन डा.उमेश गौतम के कहने पर 1.13 लाख में से महज कुल 40 हजार कराया गया। तीमारदार शव ले जा चुके हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बलवीर सिंह ने बताया कि मामले की लिखित शिकायत मिली थी इस पर मरीज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए हास्पिटल प्रबंधन से बात कर शव देने को कहा गया है। अस्पताल प्रशासन ने शव दे दिया है।