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सरकार की नीतियों से संतुष्ट नहीं होने और हालमार्किंग एक्शन कमेटी द्वारा सांकेतिक हड़ताल की घोषणा पर मंगलवार को शहर के हालमार्किंग केंद्रों की हड़ताल रही। हालांकि इससे ग्राहकों को किसी तरह की पेरशानी नहीं
हालमार्क संचालकों की मांग है कि इस रेट को बढ़ाकर 60 रुपए ही कर दिया
बरेली, सरकार की नीतियों से संतुष्ट नहीं होने और हालमार्किंग एक्शन कमेटी द्वारा सांकेतिक हड़ताल की घोषणा पर मंगलवार को शहर के हालमार्किंग केंद्रों की हड़ताल रही। हालांकि इससे ग्राहकों को किसी तरह की पेरशानी नहीं हुई। विरोध या हड़ताल का सबसे बड़ा कारण यहा है कि वर्ष 2017 से अब तक हर पीस पर 35 रुपये का रेट दिया जा रहा है। जबकि, सरकार द्वारा आश्वस्त किया गया था कि डिजिटलाइजेशन होने के बाद यह रेट 100 कर दिए जाएंगे। जो अब तक नहीं हो सके हैं। हालमार्क संचालकों की मांग है कि इस रेट को बढ़ाकर 60 रुपए ही कर दिए जाएं।
बरेली में हालमाकिंग के पांच केंद्र संचालित हैं। इसमें बरेली हालमार्किंग, श्री गणेश हालमार्किंग, तिरुपति हालमार्किंग, एवन हालमार्किंग और आरिक हालमार्किंग शामिल हैं। हालमार्किंग केंद्र संचालकों ने बताया कि 15 जून से हालमार्किंग अनिवार्य कर दी गई। एक जुलाई से डिजिटालाइजेशन दिया गया। यानी कि हालमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन हम पहले अपने साफ्टवेयर से करते थे। अब उसे पोर्टल पर करना चुनौतियों भरा है। वहीं जो काम साफ्टवेयर से दो घंटे में हो रहा है। वहीं पोर्टल पर करने से उसमें छह से आठ घंटे का समय लग रहा है।
साथ ही सरकार की ओर से संसाधन और स्टाफ बढ़ाए जाने के लिए कहा गया है, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है। हालमार्किंग केंद्र संचालकों ने बताया कि हालमार्किंग का डिजिटलाइजेशन कर दिया गया है। हमें हो रही परेशानी को जानने की कोशिश नहीं हो रही है। मांगे पूरी नही होने पर हड़ताल बड़े स्तर पर होगी।
हालमार्किंग केंद्र संचालक सचिन कदम ने बताया कि सरकार की नीतियों के अनुसार निर्माता और थोक व्यापारी को हालमार्किंग के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। गुणवत्ता संबंधी किसी शिकायत का निवारण कोई विकल्प नहीं हैं। सरकार को निर्माता को नहीं बल्कि ग्राहक को जिम्मेदार बनाया जाए।
गणेश सावंत का कहना है कि हालमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन का कार्य साफ्टवेयर से ही कराया जाए। केंद्र संचालकों को पोर्टल पर काम करने के लिए बाधित नहीं किया जाए। वहीं हालमार्क का रेट बढ़ाकर कम से कम 60 रुपए किया जाए। मांग पूरी न होने पर बड़े स्तर पर हड़ताल की जाएगी।