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बेटे की तलाश में भटक रहे परिवार के लोग वहां पहुंचे तो वह नहीं मिला सुबह गोताखोरों ने उसे निर्जीव निकाला। पिछले साल कोरोना से विनायक के बाबा और चाचा की मौत हो चुकी थी। इन दो आकस्मिक मौत से परिवार वैसे ही गहरे सदमे में था।
विनायक जायसवाल उर्फ कुशाग्र ने नए पुल से यमुना में मौत की छलांग लगा दी
प्रयागराज, राजरूपपुर में रहने वाले कारोबारी रतन लाल जायसवाल के इकलौते बेटे 17 वर्षीय विनायक उर्फ कुशाग्र ने बुधवार आधी रात बाद नैनी पुल पर सेल्फी लेकर वाट्स एप के स्टेटस पर लगाया और फिर यमुना में मौत की छलांग लगा दी। सुबह से बेटे की तलाश में भटक रहे परिवार के लोग वहां पहुंचे तो वह नहीं दिखा। उसकी साइकिल और चप्पल पुल पर जरूर मिले। सुबह गोताखोरों ने उसे यमुना से निर्जीव निकाला। पिछले साल कोरोना वायरस इंफेक्शन से विनायक के बाबा उमेश चंद्र और चाचा नितिन की मौत हो चुकी थी। इन दो आकस्मिक मौत से परिवार वैसे ही गहरे सदमे में था। अब चौफटका स्थित इलाहाबाद पब्लिक स्कूल में दसवीं के छात्र रहे विनायक की इस आत्मघाती हरकत ने परिवार और रिश्तेदारों को गहरा आघात पहुंचा है। इकलौते बेटे की मौत के गम से मां रोते-रोते बेसुध है तो पिता भी बेहाल हैं।
कोरोना ने छीनी थी परिवार की खुशी
राजरूपपुर में दुर्गा मंदिर के ठीक सामने है कृष्णा स्वीट हाउस। इस कारोबारी परिवार पर इस साल कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने कहर बरपाया। कुछ दिनों के भीतर परिवार के मुखिया और उनके छोटे बेटे का कोरोना से निधन हो गया था। परिवार के लिए बहुत गहरा सदमा था यह। कई दिन तक शोक छाया रहा। घरवाले और रिश्तेदार तो अब तक इस सदमे नहीं उबरे हैं लेकिन अब एक और धक्का इस परिवार को लगा है। कारोबारी परिवार के बडे़ पुत्र रतनलाल जायसवाल का बेटा 17 वर्षीय विनायक उर्फ कुशाग्र बुधवार को घर से गुस्से में निकल गया था। खोजबीन में जुटे परिवार के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। धूमनगंज थाने की पुलिस ने पिता रतनलाल की ओर से गुमशुदगी का केस लिखा और तलाश शुरू की। विनायक मोबाइल फोन रखे था लेकिन परिवार के लोगों की काल नहीं रिसीव कर रहा था। परिवार के लोग शाम तक तक तलाश में भटकते रहे।
रोते हुए सेल्फी ली और लगा दी यमुना में छलांग
रात करीब दो बजे विनायक ने नैनी पुल पर कई सेल्फी लेकर अपने वाट्स एप स्टेटस पर लगाई। फोटो में वह रोते हुए दिख रहा था। पिता समेत कई लोग रात में ही यमुना पुल पर पहुंचे लेकिन विनायक नहीं मिला। अलबत्ता उसकी साइकिल और चप्पल जरूर रेलिंग के पास दिखे। सुबह गोताखोरों को यमुना में उतारा गया तो विनायक मिला लेकिन उसकी सांस थम चुकी थी। खबर फैली तो राजरूपपुर से कई व्यापारी और अन्य लोग पहुंच गए।