कब है शारदीय नवरात्रि? जानें कलश स्थापना मुहूर्त, दुर्गाष्टमी और दशहरा के बारे में

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Shardiya Navratri 2021 पितृ पक्ष चल रहा है जो इस वर्ष 16 दिनों का है। यह 06 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या को समाप्त होगा। इसके ठीक अगले दिन से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है।

Shardiya Navratri 2021: कब है शारदीय नवरात्रि? जानें कलश स्थापना मुहूर्त, दुर्गाष्टमी और दशहरा के बारे में

पितृ पक्ष चल रहा है, जो इस वर्ष 16 दिनों का है। यह 06 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या को समाप्त होगा। इसके ठीक अगले दिन से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इस वर्ष भी ऐसा ही है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। इस दिन ही कलश स्थापना या घटस्थापना होता है और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं ​शारदीय नवरात्रि 2021 के कैलेंडर के बारे में।

शारदीय नवरात्रि 2021 कैलेंडर

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ: 07 अक्टूबर, दिन गुरुवार।

घट स्थापना या कलश स्थापना: 07 अक्टूबर को।

घटस्थापना मुहूर्त: प्रात: 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट के मध्य।

मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि का दूसरा दिन: 08 अक्टूबर, 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।

नवरात्रि का तीसरा दिन: 09 अक्टूबर, दिन शनिवार।

मां चंद्रघंटा पूजा। मां कुष्मांडा पूजा।

नवरात्रि का चौथा दिन: 10 अक्टूबर, दिन रविवार।

मां स्कंदमाता की पूजा।

नवरात्रि का पांचवा दिन: 11 अक्टूबर, दिन सोमवार।

मां कात्यायनी की पूजा।

नवरात्रि का छठा दिन: 12 अक्टूबर, दिन मंगलवार।

मां कालरात्रि की पूजा।

नवरात्रि का सातवां दिन: 13 अक्टूबर, दिन बुधवार।M

दुर्गा अष्टमी। मां महागौरी की पूजा।

नवरात्रि का आठवां दिन: 14 अक्टूबर, दिन गुरुवार।

महानवमी एवं हवन। कन्या पूजन।

नवरात्रि का दसवां दिन: 15 अक्टूबर, दिन शुक्रवार।

दुर्गा विसर्जन। नवरात्रि व्रत का पारण। विजयादशमी। दशहरा।

कन्या पूजन: नवरात्रि में व्रत के साथ कन्या पूजन का बहुत महत्व होता है। जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रहते हैं या फिर पहले दिन और दुर्गा अष्टमी का व्रत रखते हैं, वे लोग कन्या पूजन करते हैं। कई स्थानों पर कन्या पूजन दुर्गा अष्टमी के दिन होता है और कई स्थानों पर यह महानवमी के दिन होता है। 01 से लेकर 09 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा की जाती है।

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