जूना अखाड़ा के अध्‍यक्ष महंत प्रेम गिरि ने की मांग- जूना के संत को मिले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का पद

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RGA न्यूज़

जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि का कहना है कि अखाड़ा परिषद का गठन होने के बाद से उनका कोई महात्मा अध्यक्ष नहीं बना। हमेशा महामंत्री व दूसरा पद दिया गया अब उनके अखाड़े के महात्मा को अध्यक्ष बनाना चाहिए। इसकी मांग समस्त अखाड़ों से की जाएगी।

वैष्‍णव अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा ने भी अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष पद की मांग की है।

प्रयागराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन (मृत्यु) होने के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। वैष्णव अखाड़े अध्यक्ष पद पहले से दावेदारी कर रहे हैं। अब नरेंद्र गिरि की षोडशी से पूर्व संन्यासियों के सबसे बड़े जूना अखाड़ा ने अध्यक्ष पद पर दावा किया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अखाड़ा परिषद में घमासान की स्थिति बन रही है। 

जूना अखाड़ा के अध्‍यक्ष ने यह तर्क किया

जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि का कहना है कि अखाड़ा परिषद का गठन होने के बाद से उनका कोई महात्मा अध्यक्ष नहीं बना। हमेशा महामंत्री व दूसरा पद दिया गया, अब उनके अखाड़े के महात्मा को अध्यक्ष बनाना चाहिए। इसकी मांग समस्त अखाड़ों से की जाएगी। जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि मौजूदा समय अखाड़ा परिषद के संरक्षक हैं। 

2025 में होगा कुंभ, अखाड़ा परिषद की होगी अहम भूमिका

श्रीनिरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि 2014 में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने थे। उन्होंने 20 सितंबर को श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में संदिग्ध अवस्था में फांसी लगा ली थी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद खाली हो गया है। 2025 में प्रयागराज में कुंभ मेला होना है, जिसमें अखाड़ा परिषद की अहम भूमिका होगी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष का पद प्रतिष्ठित होता है। इसी कारण अखाड़े उसके लिए अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं।

जानें, वैष्‍णव अखाड़ों की मांग व चेतावनी

इसके पूर्व वैष्‍णव अखाड़ों जिनमें श्रीनिर्मोही अनी, श्रीनिर्वाणी अनी और श्रीदिगंबर अनी शामिल हैं, उन्‍होंने अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष पद पर दावा किया था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इन तीनों अखाड़ों में से एक के महात्‍मा को अखाड़ा परिषद का अध्‍यक्ष बनाया जाए। ऐसा न होने पर अखाड़ा परिषद से अलग होकर नए संगठन को बनाने की चेतावनी तक दे डाली थी। बता दें कि वैष्‍णव अखाड़े हरिद्वार कुंभ मेला से नाराज चल रहे थे। श्रीनिर्वाणी अखाड़ा के अध्‍यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास जी ने हरिद्वार कुंभ में वैष्‍णव अखाड़ों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उचित जमीन व सुविधाएं नहीं दिलाई गई थी। वैष्‍णव अखाड़ों के संत को अध्‍यक्ष पद अगर नहीं दिया गया तो हमेशा के लिए परिषद से अलग हो जाएंगे। इसी क्रम में श्रीदिगंबर अनी अखाड़ा के अध्‍यक्ष श्रीमहंत रामकिशोर दास ने कहा था कि संन्‍यासी अखाड़े के महात्‍मा पिछले कई वर्षों से अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष रहे हैं। अब वैष्‍णव अखाड़ों के संत को यह पद दिया जाए।

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