सनातन संस्कृति में गाय को पहली रोटी खिलाने की है परंपरा, पितृदोष से मिलती है राहत, जानें और क्या होता है फायदा

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RGA न्यूज़

 देवतुल्य गाय को पहली रोटी खिलाने से देवों को प्रसन्न करने का मत मजबूत है। बुजुर्ग महिलाएं घर की पहली रोटी और भोजन का एक हिस्सा गाय को समर्पित करके 33 करोड़ देवताओं को भोग लगाती आई है।

33 करोड़ देवताओं के वास होता है गाय में, इसलिए पहली रोटी उन्हें करते है समर्पित

बरेली, देवतुल्य गाय को पहली रोटी खिलाने से देवों को प्रसन्न करने का मत मजबूत है। बुजुर्ग महिलाएं घर की पहली रोटी और भोजन का एक हिस्सा गाय को समर्पित करके 33 करोड़ देवताओं को भोग लगाती आई है। वैदिक सनातन धर्म में गाय को रोटी खिलाने से पितृदोष में राहत मिलने का जिक्र भी मिलता है। मान्यताओं के बीच आधुनिकता की चादर ओढ़े लोग गौ ग्रास को भूल बैठे हैं। गाय को अन्न खिलाने की परंपरा को जीवंत रखने वालों से दैनिक जागरण ने संपर्क किया।

दादी-मां को देखा.. अब भी परंपरा जिंदा है : शांतिविहार के पप्पू साहू के मुताबिक उन्होंने बचपन से अपनी मां को रसोई की पहली रोटी, दाल, सब्जी का एक हिस्सा गाय के लिए निकालते हुए देखा। घर में गौधन था। इसलिए उन्हें पहली रोटी का समर्पण होने के बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते थे। उनकी दादी और मां कहती थी कि आप भगवान को भोग लगाएं या गाय माता को पहली रोटी खिलाएं, दोनों का फल एक समान ही होता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। इससे सभी देवता प्रसन्न होते हैं। आज भी पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती 

गाय कूड़े में भोजन ढूंढे, ये देखकर दुख होता है : गणेशनगर के अंचित शर्मा के मुताबिक पूजन के दौरान भगवान के भाेग का महत्व होता है। उसी तरह, रसोई से निकले वाले अन्न का पहला भोग गाय को दिया जाता है। मान्यता ये भी है कि इससे पितृदोष दूर होता है। पहले हर घर से निकलने वाली रोटी के लिए गाय सुबह ही दरवाजे पर आवाज देने लगती थी। लेकिन धीरे-धीरे घरों में पहली रोटी गाय को देने की परंपरा कम होती चली गई। अब वह गाय को कूड़े में भोजन ढूंढते देखते हैं, तो दुख होता है। गायों के लिए पहली रोटी निकालकर उन्हें खिलाने की स्वस्थ परंपरा के धार्मिक महत्व के साथ ये हमारा फर्ज भी बनता है कि हम अपने भोजन के साथ उनकी भी व्यवस्था करें।

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