किसान बनकर पहुंचे जिला कृषि अधिकारी, 250 रुपये महंगी मिली डीएपी

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RGA न्यूज़

सात नमूने भी लिए गए जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है। वहीं विक्रेताओं को नोटिस जारी कर वसूली करने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। चार विक्रेताओं को नोटिस किया जा रहा जारी। दो के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी।

डीएपी के उपलब्ध न होने का हवाला देकर की जा रही है कालाबाजारी।

आगरा, जिले में डीएपी की किल्लत हो रही है। सहकारी समितियों से किसान बेरंग लौट रहे हैं। वहीं निजी क्षेत्र के विक्रेता कालाबजारी कर रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार कई दुकानों पर किसान बनकर पहुंचे। उन्होंने कुर्ता, पजामा पहना और गमछा बांध डीएपी की खरीद की। फतेहाबाद में डीएपी कट्टे पर 250 रुपये, शमसाबाद में 150 रुपये निर्धारित दर से अधिक वसूले गए। दो विक्रेताओं ने उपलब्ध होते हुए भी देने से इन्कार कर दिया। इस दौरान सात नमूने भी लिए गए, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है। वहीं, विक्रेताओं को नोटिस जारी कर वसूली करने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।

जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार सबसे पहले फतेहाबाद के गोपाल खाद बीज भंडार पहुंचे। विक्रेता से डीएपी का कट्टा मांगा, जिसने 1450 रुपये का बताया, जबकि निर्धारित मूल्य 1200 रुपये है। जिला कृषि अधिकारी ने खरीद के बाद कुछ दूरी पर मौजूद टीम को बुलाकर रेट लिस्ट, स्टाक रजिस्टर और अन्य प्रपत्र मांगे तो विक्रेता दिखा नहीं सका। इससे आस-पास के अन्य विक्रेताओं में खलबली मच गई। दुकान से दो बीज, दो खाद के नमूने लिए गए। इसके बाद शमसाबाद के गौरव खाद बीज भंडार पहुंचे, जिसने 1350 रुपये की डीएपी दी और बिल देने से मना कर दिया। विक्रेता ने स्टाक बोर्ड नहीं लगा रखा था और प्रपत्र भी नहीं दिखाए। शमसाबाद के ही नवीन खाद भंडार पहुंचे जिला कृषि अधिकारी को विक्रेता ने डीएपी देने से मना कर दिया। विक्रेता ने कहा कि वे सिर्फ अपनी पहचान के किसानों को ही डीएपी बेच रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी ने परिचय देकर जांच की तो विक्रेता प्रपत्र नहीं दिखा सके। दुकान से खाद का एक नूमना भी लिया गया। निकट स्थित किसान खाद एजेंसी ने डीएपी उपलब्ध होने से मना कर दिया और जांच के दौरान कोई प्रपत्र नहीं दिखा सके। दुकान से खाद के दो नमूने लिए गए।

 

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जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि डीएपी की कृत्रिम किल्लत दिखाकर निर्धारित दर से अधिक मूल्य वसूलने की शिकायतें मिल रही थीं। किसान बनकर जांच की गई तो चार विक्रेता पकड़ में आए। सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जा रहा है और निर्धारित दर से अधिक पर डीएपी बेचने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।

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