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राज परिवार के चंद्रमणि कांत सिंह ने वर्ष 1969 में कांग्रेस के साथ जुड़कर अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की थी। वर्ष 1974 तक विधायक रहने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। इसके बाद लगातार दो बार कांग्रेस उम्मीदवार खुर्शीद अहमद भिनगा विधायक रहे।
17 में मोदी की प्रचंड लहर में भी भिनगा विधानसभा में नहीं खिल सका था कमल।
श्रावस्ती,। विधानसभा चुनाव की तिथियां निकट आने के साथ ही राजनैतिक दलों ने जीत के लिए जोर भरना शुरू कर दिया है। भिनगा विधानसभा पर सभी पार्टियों से टिकट के दावेदारों की भरमार है, लेकिन जीत का सेहरा इस बार किसके सिर बंधेगा। इसको लेकर मतदाता स्पष्ट राय नहीं बना पा रहे हैं। भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली इस विधानसभा सीट पर 15 वर्षों से कमल नहीं खिला है। राज परिवार के चंद्रमणि कांत सिंह भाजपा से यहां के अंतिम विधायक हुए। मोदी की प्रचंड लहर के बाद भी वर्ष 20में इस सीट पर बसपा का परचम बुलंद हुआ। भाजपा अपनी खोई विरासत वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है, लेकिन जिताऊ उम्मीदवार कौन हो सकता है, इसको लेकर
राज परिवार के चंद्रमणि कांत सिंह ने वर्ष 1969 में कांग्रेस के साथ जुड़कर अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की थी। वर्ष 1974 तक विधायक रहने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया। इसके बाद लगातार दो बार कांग्रेस उम्मीदवार खुर्शीद अहमद भिनगा विधायक रहे। वर्ष 1989 में इंटर कालेज मैदान में दशहरा के रावण दहन को लेकर बने विवाद के बाद स्थानीय लोगों ने एक बार फिर राजा भिनगा को विधायक के तौर पर देखने की इच्छा जताई। जन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए वर्ष 1989 में चंद्रमणि कांत सिंह ने निर्दल उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन कराया और रिकार्ड 49 प्रतिशत मत पाकर विधायक चुने गए। तीन वर्ष बाद हुए चुनाव में चंद्रमणि कांत ने भाजपा का
इसके बाद वर्ष 1991 से वर्ष 2002 तक पांच बार वे लगातार विधायक रहे। वर्ष 2007 के चुनाव में एक बार फिर उन्होंने राजनीति से सन्यास लिया। उनकी पत्नी शुभाश्री देवी ने सपा से नामांकन कराया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दद्दन मिश्रा ने बसपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज करते हुए राजनीति की दिशा बदल दी। वर्ष 2012 के चुनाव में दद्दन को बसपा से टिकट नहीं मिला। उन्होंने भाजपा का दामन थामा, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे। इंद्राणी देवी ने जीत दर्ज कर पहली बार इस क्षेत्र में सपा का झंडा फहराया। वर्ष 2017 के चुनाव में राज परिवार के चंद्रमणि कांत ङ्क्षसह के पुत्र अलक्षेंद्र कांत सिंह भाजपा के टिकट से मैदान में उतरे। इस बार यह सीट बसपा की झोली में गई और मुहम्मद असलम विधायक चुने गए।
जयह हैं टिकट के दावेदार : भिनगा विधानसभा में खोई जमीन तलाश रही भाजपा में एक बार फिर टिकट के दावेदारों की सूची काफी लंबी है। वर्ष 2017 में रनर रहे अलक्षेंद्र कांत सिंह ने तैयारी तेज कर दी है। पूर्व जिलाध्यक्ष संजय कैराती, पूर्व महामंत्री रणबीर सिंह, नगर पालिका परिषद भिनगा के अध्यक्ष अजय आर्य, पूर्व सांसद पदमसेन चौधरी की पत्नी पुष्पा चौधरी, जिला महामंत्री रमन सिंह, जिला उपाध्यक्ष उदय प्रकाश त्रिपाठी, जिला मंत्री अरुण पांडेय, अनुसूचित मोर्चा की जिला उपाध्यक्ष आरती सोनकर, कमलेश मिश्रा, कमलेश प्रताप सिंह कमल टिकट के दावेदारों में शामिल हैं
इस बार चुनाव में भिनगा विधानसभा में भाजपा बड़ी जीत दर्ज करेगी। टिकट के दावेदार अपना आवेदन जमा कर रहे हैं। इसे प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय संगठन करेगा। अभी हमारा उम्मीदवार कमल का फूल है। -