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RGAन्यूज़
अलीगढ़ । रामघाट रोड पर एटा के सीमेंट कारोबारी की हत्या ने सबको हिलाकर रख दिया। पुलिस ने अगले दिन मामले का पर्दाफाश तो कर दिया लेकिन अभी आधे से ज्यादा काम बाकी है। इस बड़े केस में पुलिस सीबीआइ के पैटर्न पर काम कर रही
रामघाट रोड पर एटा के सीमेंट कारोबारी की हत्या ने सबको हिलाकर रख दिया।
अलीगढ़, । रामघाट रोड पर एटा के सीमेंट कारोबारी की हत्या ने सबको हिलाकर रख दिया। पुलिस ने अगले दिन मामले का पर्दाफाश तो कर दिया, लेकिन अभी आधे से ज्यादा काम बाकी है। इस बड़े केस में पुलिस सीबीआइ के पैटर्न पर काम कर रही है। हर दिन की कार्रवाई को अपडेट किया जा रहा है। अब इतनी तेजी में भला सुस्ती का क्या काम? दूसरी तरफ, शहर में इतनी बड़ी घटना हो जाए और किसी पर कार्रवाई न हो, ये भी संभव नहीं है। इसलिए घटना पर सुस्ती ज्यादा भारी पड़ गई और प्रभारी नप गए। अब यूं तो कतार में कई लोग थे। लेकिन, यहां काम वाले को इनाम मिल गया। नए प्रभारी ने घटना वाले दिन से ही मन से काम किया था। पहले दिन ही अधिकारियों का दिल जीता और फल मिल गया। ये सबक भी है कि थानेदारी करनी है तो तेजतर्रार और स
फिर बढ़ी सिरदर्दी
कोरोना... जिसका नाम सुनते ही लोग भयभीत और सतर्क हो जाते हैं। अब फिर से कोरोना ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। वहीं विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। ऐसे में खाकी की सिरदर्दी भी बढ़ गई है। चंद दिनों में ही शहर के एक थाने के सिपाही व देहात के एक थाने के प्रभारी कोरोना की चपेट में आ गए हैैं, लेकिन पुलिस का तो काम ही ऐसा है कि अनजान लोगों के बीच जाना ही पड़ेगा। पुलिस अभी सख्ती की बजाय सावधानी पर ज्यादा ध्यान दे रही है। रात में तो लोग खुद ही दुकानों को बंद कर देते हैं, लेकिन दिन में अभी भीड़ को संभालना टेढ़ी खीर है। बाजार, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों पर भयंकर भीड़ ने बुरा हाल कर रखा है। आने वाले दिनों में यह स्थिति ज्यादा खतरनाक न बने, इसके लिए आम जनता को खाकी का सहयोग क
साहब की चाय से बढ़ गई ऊर्जा
एक अच्छे अफसर की यही पहचान होती है कि वो अपनी टीम को कभी निराश न होने दे। साथ ही उसकी परेशानी का भी ख्याल रखे। वर्तमान में शहर में क्षेत्र वाले सभी 'साहब' एक्टिव हैं। हर थाने की एक-एक बात उंगलियों पर होती है, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों का मध्यस्थ होने के चलते सबसे ज्यादा जवाबदेही भी उन्हीं की होती है। इन हालातों में टीम को साधे रखने के लिए थोड़ी बहुत डांट-डपट भी जरूरी है। बात दो दिन पुरानी है। एक थाने में क्षेत्र वाले 'साहब' ने पुलिसकर्मी को लापरवाही पर डांट लगा दी। पुलिसकर्मी तो नाराज नहीं हुआ, लेकिन बाद में साहब को अच्छा नहीं लगा। साहब अपनी थाने वाली टीम के साथ रात में ही निकले। पुलिसकर्मी को सड़क पर खड़े होकर चाय पिलाई और नसीहत देते हुए समझाया भी। एक अधिकारी के इस प्यारभरे रवैये के बाद पुलिसकर्मी के काम की ऊर्जा और बढ़
'गुस्सा' आने से पहले रुकें और सोचें
शहर में रोडरेज की घटनाओं में बढ़ोतरी होने लगी हैं। एक तरफ हम अपने शहर की तुलना मेट्रो सिटी से कर रहे हैं तो दूसरी तरफ हमारी सहनशक्ति पूरी तरह खत्म होती जा रही है। मैरिस रोड चौराहे पर हुई रोडरेज की घटना तो याद ही होगी, जिसमें बिना बात के एक जान चली गई। ये तो वो घटना थी, जो सबके सामने आ गई। ऐसी छिटपुट घटनाएं रोज होती हैं। वाहन टकराने पर हम एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरू कर देते हैं। इसी बीच कहासुनी कब गुस्से में तब्दील हो जाए, पता ही नहीं चलता। तीन दिन पहले कमालपुर रोड पर हुई फायङ्क्षरग की घटना को भी रोडरेज से ही जोड़कर देखा गया। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस को तो कदम उठाने ही होंगे। साथ ही हमें भी संयम बरतना होगा। ऐसी स्थिति आए तो थोड़ा रुके और सोचें। विवाद को खत्म करने पर ज्यादा जोर दें।